भोपाल। इधर शिवराज सिंह चौहान जनता के बीच पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं और उधर नेता प्रतिपक्ष बंगले पर बैठे बैठे सीएम के पत्र पर पत्र लिखे जा रहे हैं। आज तक एक भी मामले को निर्णय तक पहुंचाने में पूरी तरह से बिफल रहा विपक्ष बस सवाल पर सवाल किए जा रहा है।
इससे पहले कि हम यहां बताएं कि नेता प्रतिपक्ष ने सीएम को क्या लिखा, हम याद दिला दें कि पिछले 9 सालों में कांग्रेस के तमाम आयोजनों में लोगों की संख्या सीएम की सभाओं का 10 प्रतिशत भी नहीं रही। सत्ता में लगातार 9 साल बने रहने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान आज भी लोकप्रिय है और विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अपनी ही पार्टी में गुंथे हुए हैं। जनाधार बढ़ाने के कई स्वर्णिम अवसर चूक चुके कांग्रेसी अभी भी घरों में दुबके बैठे हैं और नेताप्रतिपक्ष बस आखबारी खुलासों पर कभी पत्र तो कभी प्रेस रिलीज जारी किया करते हैं।
अब पढ़िए क्या कुछ लिखा है नेताप्रतिपक्ष ने सीएम के नाम अपने इस नए खत में:-
नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से कहा हे कि वे अपनी सरकार की भ्रष्टाचार की परिभाषा और नैतिकता की सीमाएं परिभाषित करें। श्री सिंह ने कहा कि आपके परिजनों ने जो भ्रष्टाचार और पद प्रभाव का दुरूपयोंग किया उसे मय प्रमाणों के साथ आपसे कार्यवाही का आग्रह किया वह आपकी नजरों में भ्रष्टाचार नहीं है। आपसे आपकी पार्टी और मंत्रियों से जुडे़ सुधीर शर्मा की डायरी में आर्थिक लाभ लेने वालो के नाम उजागर होने के बाद भी आप कहते है कि डायरी में नाम आने से कोई अपराधी नहीं होता मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और राजेन्द्र शुक्ल ने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया ।
श्री सिंह ने कहा कि उपरोक्त सिद्ध भ्रष्टाचार मामलों के बाद अब आपको इस प्रदेश की साडे़ सात करोड़ जनता को यह बताना चाहिए कि आपने या आपकी सरकार की नजर में आखिर भ्रष्टचार क्या है।
नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चोैहान को लिखे एक कड़े पत्र में कहा कि अपने परिजनों द्वारा मुख्यमंत्री पद का लाभ लेते हुए जो कृत्य किए उसकी पूरी जानकारी आपको दी गई । कई बार आपके स्तर पर पुलिस प्रशासन पर कार्यवाही करने का अनुरोध किया लेकिन कहीं कोई सुनवाई आपके दबाव में नहीं हुई । कांग्रेस विधायक आपके परिजनों के भ्रष्टाचार के मामले में जो अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से जनता की सर्वोच्च अदालत विधानसभा पहुंची तो आपने षड़यंत्र पूर्वक चर्चा नहीं होने दी और आप सदन छोडकर भाग खडे़ हुए।
नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा कि अभी हाल में मैं आयकर विभाग की रिपोर्ट के खुलासे में सुधीर शर्मा से रिश्वत लेने वाले दो मंत्रियों लक्ष्मीकांत शर्मा एवं राजेंन्द्र शुक्ला का बचाव करते है। उन्होंने कहा कि यह पूरा खुलासा प्रथम दृष्टया प्रमाणित है क्योंकि ये सुधीर शर्मा कोई और नहीं भाजपा के कारोबारी और शासकीय उपक्रम क्रिस्प के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा है कि लक्ष्मीकांत शर्मा ने सुधीर शर्मा के रिश्ते भी प्रमाणित है क्यांेकि वे न केवल उनके पर्सनल स्टाफ में काम कर चुके है, बल्कि उनकी इटैलियन पिस्तौल भी उनकी कंपनी के डायरेक्टर के यहां छापे में मिली है। उन्हांेने कहा कि सुधीर शर्मा की डायरी इसलिए झूठी नहीं हो सकती या उस पर संदेह नही किया जा सकता क्योंकि वे स्वयं भाजपा में पदाधिकारी है तकनीकि शिक्षा मंत्री पूर्व में खनिज मंत्री रह चुके लक्ष्मीकांत शर्मा से गहरे रूप से जुडे है इसके कई प्रमाण सुधीर शर्मा के यहां पडे़ छापों के दौरान मिले है। वे झूठे नाम लिखेंगे ऐसा हो नहीं सकता।
नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से कहा है कि अगर दोनों मंत्रियों के खिलाफ यह मामला भ्रष्टाचार का नहीं बनता तो मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे अपने राज्य के उन सभी कानूनों में संशोधन करें या उनमें स्पष्ट करे कि उनकी भ्रष्टाचार की परिभाषा यह है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट किसी भ्रष्टाचारी को सजा न सुनाए तब तक उसे भ्रष्टाचारी नही माना जाएगा । इस नाते उन्हें उन सभी सरकारी अधिकारियों के खिलाफ शासन द्वारा की गई कार्यवाही वापस लेना चाहिए जिनके मामले कोर्ट में चल रहे है।
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि भ्रष्टाचार के इस गंभीर मामले में खुलासे के बाद उन्हें अपने शब्दकोष से नैतिकता शब्द को निकाल देना चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि इस प्रदेश में भ्रष्टाचार को सिर्फ बातों से न भगाएं बल्कि वे इस पर अमल करके दिखाएं। दोनों मंत्रियों को मंत्रिमंडल से निकाले और अपने परिजनों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाहीं करे।