भोपाल। भले ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर मंच से फिजूलखर्ची पर नियंत्रण करने की नसीहत देते हों लेकिन महज शक्ति प्रदर्शन के नाम पर बीजेपी करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाने जा रही है। भोपाल में 25 सितम्बर को होने वाले कार्यकर्ता महाकुंभ में भाजपा पर सरकारी मशीनरी एवं धन उपयोग करने का आरोप लग रहा है।
25 सितम्बर को होने वाले कार्यकर्ता महाकुंभ को लेकर पार्टी जोश मे है। बीजेपी की मानें तो ये देश का सबसे बड़ा सियासी आयोजन होगा, जिसमें भारी तादाद में कार्यकर्ता एक साथ जुटेंगे। खास बात ये कि इस कार्यकर्ता महाकुंभ में नरेंद्र मोदी, शिवराज चौहान और लालकृष्ण आडवाणी एक साथ मंच साझा करेंगे। इस आयोजन को मोदी और अन्य बड़े नेताओ के सामने शिवराज का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है।
बीजेपी इस कार्यकर्ता महाकुंभ को हर हाल में बेमिसाल बनाने में लगे हैं लेकिन इस आयोजन के खर्चे को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। अगर इसमें आने वाले खर्चे पर नजर डालें तो आयोजन स्थल का लगभग दस दिन का किराया 20 लाख के करीब होगा। 7 लाख कार्यकर्ताओं के लिए दो वक्त के खाने पर खर्च होंगे करीब 7 करोड़ रुपए। कार्यकर्ताओं के आने जाने पर खर्च होंगे करीब 25 करोड़। कट आउट, पोस्टर्स, बैनर एवं होर्डिंग पर खर्च होंगे करीब 10 करोड़ रुपए।
करीब 47 करोड़ से ज्यादा के खर्च की बात तो पार्टी खुद मान रही है। अब ऐसे आयोजनों पर विपक्ष तीखे तेवर ना दिखाए ये तो संभव नहीं है। विपक्ष बीजेपी पर सरकारी धन और मशीनरी के दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए मामले की शिकायत चुनाव आयोग से करने की योजना बना रहा है। यानी बीजेपी भले ही इस कार्यकर्ता महाकुंभ को लेकर जोर लगा रही हो लेकिन विपक्ष भी चुप नहीं बैठा है। भविष्य में पार्टी को इसके चाहे जो भी सियासी फायदे हों लेकिन फिलहाल इसकी चर्चा फिजूलखर्ची को लेकर ज्यादा है।