जांच में दोषी, कोर्ट में चालान, फिर भी अपनी कुर्सी पर डटे हैं श्रीमान

shailendra gupta
रायसेन [हबीब सिद्दीक़ी ]. जिले के खनिज अधिकारी प्रदीप तिवारी विभाग पर भारी पडते दिखाई दे रहे है। या यूँ कहा जाय की अपने पॉलिटिकल मैनज्मेंट के दम पर  लोकायुक्त  का चालान पेश होने के बाद भी कुर्सी पर जमे रहकर खनिज विभाग मै उनके द्वारा लगाय गये  भ्रष्टाचारी पेड को सींच रहे है साथ ही अपनी चाटुकारिता से सत्ताधारी दल के नेताओं को भी साधते हुए  चुनावी चंदे मै उनकी मदद भी कर रहे है !

आष्चर्य की बात तो यह  है कि अनियमितताओं में लिप्त खनिज अधिकारी प्रदीप तिवारी विभाग के नियमों एवं जांच के निष्कर्षो, निर्देषो सब पर भारी पडते दिखाई दे रहे है तथा विभाग के आला अधिकारीयों के साथ साथ कलेक्टर भी  उन पर कार्रवाई करने की हि मत नही जुटा पा रहे है। यही नही इससे पूर्व भी उक्त अधिकारी न ही अवैध उत्खनन  और परिवहन संबंधी अनेक अनियमितताओं  एवं भ्रष्टाचार की शिकायतों मै संलिप्त रहे  है। परन्तु विभाग के अधिकारियों ने उन पर कार्रवाई की जहमत तक नही उठाई।

पर अब तो नियमो की अनदेखी की पराकाष्टा ही हो गयी जब 1 विगत एक वर्ष पूर्व तत्कालीन खनिज निरिक्षक श्री बिसेन को ड फर मालिक से रिश्वत के मामले में एमपी  नगर के होटल मै  रंगे हाथ पकड़ा था इस प्रकरण में लोकायुक्त पुलिस द्वारा वर्तमान खनिज अधिकारी प्रदीप तिवारी को अपने साथी खनिज निरिक्षक को बचाने के लिए की गई कार्रवाई को आधार बनाते हुए उन के खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया है।इस में उक्त अधिकारी ने अपने साथी को बचाने के लिए लोकायुक्त द्वारा जप्त की गई रिश्वत की राशि जिसे ट्रेप की कार्रवाई के दौरान जप्त किया गया था को शासकीय होना बताया और पत्र लिखकर इसकी वापिसी की मांग की गई जिसके आधार पर लोकायुक्त पुलिस ने विस्तृत विवेचना करते हुए खनिज अधिकारी प्रदीप तिवारी को भी प्रकरण में आरोपी बनाया है।

लोकायुक्त पुलिस  द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत उक्त अधिकारी के खिलाफ चालान पेश करने के बाद से ही  निलंबन की तलवार लटक रही है ख़बर तो यहाँ तक है की निल बन आदेश भी टाइप हो जाने के बाद इसको खबर लगते ही अपने सत्ताधरी नेताओं के पांव पकड़कर  और  अपनी चटुकारिता और जिले मै रहते हुऐ की गयी काली कमाई से उपर बैठे अधिकारीयों की जेब भरने  के चलते निलंबन से बचे हुए है!और निलंबन आदेश टाइप होने के बाद जरी क्यों नहीं हुआ बताने की ज़रूरत नहीं !और अधिकारी  आज भी भोपाल से  अप -डाउन कर  कुर्सी पर ना ही जमा बैठा है साथ ही  दिनों दिन खनिज माफिया को सहयोग प्रदान कर रहे है या यू कहा जय की जिले के खनिज माफिया का  साइलेंट पार्टनर बन कर  शासन के राजस्व को चूना ही  लगा रहे है साथ साथ प्रकरण मै होने वाली कार्यवाही को भी प्रभावित कर रहा है.

कलेक्टर भी नहीं रुकवा सके अप डाउन - इस अधिकारी के रुतबे का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की सैकड़ा भर आदेशों के बाद भी कलेक्टर उक्त अधिकारी को अप- डाउन से रोकने मै कामयाब नहीं हो सके विभाग की सरकारी जीप से अप डाउन आज भी बदस्तूर जरी है !जबकि जीप की गति मान पुस्तिका मै दोरा दर्शाया जाता है !सवाल ये उठता है की जब रोज़ दोरा हो रहा हो तो फीर अवैध उत्खनन एवं परिवहन  पर रोक क्यों नहीं लग पा रही है वह तो कम होने के बजाय दिनोदिन बढता जा रहा है !हाँ देखने देखाने को छोटी मछलियों को ज़रूर जाल मै फसा कर झूटी वाहवाही लूटी जा रही है

मै चाहूँ जो करूँ मेरी मर्जी

खनीज अधिकारी इतने बैलागाम हो गये है की उनके लिये नियम कायदे कोई मानी नहीं मै चाहूँ जो करूँ मेरी मर्जी की तर्ज पर काम कर रहे है मीडया मै हो रही बदनामी और कलेक्टर को देखाने को गरीब गाँव वालो की मोटरसाइकल पर अवैध उत्खनन का मामला बना कर अपनी इज्ज़त बचा रहे है !जबकि सुबह साईं शाम तक मु यालय से अवैध मुरम भरकर गुजऱने वाले डम्फर इनको नजऱ नहीं आते या यूं कहा जाय की अपना हिस्सा मिलजाने के कारन उन अवैध मुरम के डम्फारों को इनकी मोन स्वीकृति जो प्राप्त है! 

लोगों का कहना है की उक्त ड फर अगर किसी आम आदमी के या कांग्रेसी लोगों के होते तो कब के थाने मै जमा हो जाते मगर उक्त ड फर सत्ताधरी दल के नेताओं और पदाधिकारियों के जो है तभी तो जेब भराई और सत्ता के दम पर खुलेआम घूम रहे है पिस रहे है गरीब जिनकी बाएक पर विभाग जुर्माना ठोंक कर वाह वही लूट रहा है !देखना ये है की कलेक्टर महोदय कब ऐसे भिरष्ट अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही करंगे या यूं ही चुनाव के नाम पर चन्दा वसूली का खेल खेला जाता रहेगा!


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