भोपाल। आम चुनाव से ठीक पहले केंद्र ने सरकारी कर्मचारियों को तोहफा दे दिया है। सरकार ने बुधवार को सातवें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया। केंद्र के इस कदम से लगभग 80 लाख कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को फायदा होगा। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें एक जनवरी 2016 से लागू होंगी।
एक लाख करोड़ का बोझ: यूपीए की इस लोक-लुभावन घोषणा से अगली सरकार पर भारी-भरकम एक लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ने का अनुमान है। केंद्र ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशें एक जनवरी 2006 से लागू की थीं।
समय से पहले मंजूरी: आम तौर पर वेतन आयोग का गठन नौ साल के अंतराल पर किया जाता है लेकिन इस साल नवंबर में दिल्ली सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल के शुरू में आम चुनाव के मद्देनजर निर्धारित समय से पहले सरकार ने वेतन आयोग के गठन का फैसला किया है। वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सातवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। चिदंबरम ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के नाम तथा इसकी सेवा शर्तों की घोषणा जल्द की जाएगी। आयोग अगले दो साल में अपनी रिपोर्ट देगा।
हाल ही में बढ़ाया था डीए: केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के गठन की सौगात हफ्ते भर पहले उनके महंगाई भत्ते में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के बाद की है। वैसे वेतन आयोग के गठन का यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब हाल के वर्षों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर लगातार 10 प्रतिशत के आसपास रही है।
इस बीच कर्मचारी संगठनों ने सातवें वेतन आयोग के गठन का स्वागत करते हुए प्रत्येक पांच साल के बाद इसकी समीक्षा करने की मांग की है। यह सिर्फ केंद्र ही नहीं बल्कि राज्य कर्मियों के लिए भी खुशखबरी है। इसका कारण है कि राज्यों द्वारा कुछ संशोधनों के साथ आयोग की सिफारिशें मान ली जाती हैं।