राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारतीय जनता पार्टी का पश्चिम उत्तर प्रदेश बंद का आव्हान सफल रहा| भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक प्रतिनिधि मंडल के साथ राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी से मिल आये और रस्म अदायगी के तौर पर उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की मांग भी दोहरा आये|
मायावती भी यही कह रही है| इन सबसे मूल समस्या का हल नहीं निकलेगा | मूल समस्या सिर्फ उत्तर प्रदेश की नहीं है और न उपद्रव का बहाना ही वहां का है | उपद्रव की जड़ें तो केरल से कश्मीर तक फैली हुई है, और अब तक जितनी केंद्र और राज्य सरकारें हुई हैं, सबने आग लगने पर कुआँ खोदने की बात की और उपद्रव शांत होते ही यह तक भूल गये कि चिंगारी कहाँ से पैदा होती और कौन-कौन उसकी ज्वाला में अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकता है |
मुजफ्फर नगर उपद्रव का जो फलित सामने आया है, गावों की “बच्चियों का पढना बंद” की शक्ल में आया है | उन बच्चियों के साथ की और बच्चों और बच्चियों ने और उनके अभिभावकों ने पढाई बंद का निर्णय लिया है | यह उपद्रव छोटा था इसका बड़ा आकार दिल्ली या मुम्बई का सामूहिक दुष्कृत्य है | जिनके मूल में भी अशिक्षा है | कभी सबको साक्षर करने के दावे करने वाली सरकारों ने अपने और सरकारी अनुदान से पोषित स्कूलों की शक्ल देखी है? अस्तबल से बदतर इन सरकारी और जातीय स्कूलों से फरिश्तों की पैदाइश नहीं हो सकती |
समाज की रचना एक जटिल विषय है | आज़ादी के बाद इस और किसी ने ध्यान नहीं दिया | राजनीतिक दल जीतने के लिए मतों के ध्रुवीकरण का हर प्रयोग चाहे वह खूनीखेल ही क्यों न हो आजमाते है } फिर पांच साल तुष्टिकरण और तिजोरी भरने में लगाते हैं | टूटते सामाजिक ताने-बने की मरम्मत की फ़िक्र किसी को नहीं हैं | असुरक्षा की भावना और अशिक्षा हर उपद्रव के मूल में है |
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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