हिन्दू संस्कृति का अपमान कर रही है क्रेडाई

shailendra gupta
भोपाल। राजधानी में 27 सितम्बर से आवास मेला आयोजित करने जा रही रियल स्टेट आर्गेनाइजेशन क्रेडाई का विरोध शुरू हो गया है। विरोध आवास मेले का नहीं बल्कि इसके पीछे दिए गए उस लॉजिक है जिसको प्रमोट करके आयोजक ग्राहकों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।

पितृपक्ष में आयोजित आवास मेले में ग्राहकों को बुलाने के लिए क्रेडाई ने तर्क दिया है कि पितृपक्ष में घर खरीदना वर्जित नहीं होता, इन दिनों में पूर्वज पृथ्वी पर होते हैं अत: उनकी उपस्थिति में घर खरीदना शुभ होता है। बस इसी तर्क ने क्रेडाई के इस आयोजन को विवादित कर दिया है। हिन्दू मान्यताओं के विशेषज्ञों का कहना है कि अपना माल बेचने के लिए हिन्दू धर्म की परंपराओं को बदलने का अधिकार किसी दुकानदार को नहीं दिया जा सकता और परंपराओं में दखल बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।

मध्यप्रदेश के सबसे बड़े अखबार दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट भी इसका समर्थन करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार

पूर्वजों को याद करने और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का कालखंड ‘पितृपक्ष’ शुरू हो गया है। यह 15 दिनों तक चलेगा। आश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हुआ यह पक्ष अमावस्या को समाप्त होगा। अमावस्या 4 अक्टूबर को है और उसी दिन महालया है। उसके अगले दिन से नवरात्र शुरू हो रहा है। पितृपक्ष शुरू होने के साथ ही शुभ कार्यों पर रोक लग गई है।

शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में गृहप्रवेश, शादी-ब्याह आदि शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाने चाहिए। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, पितृपक्ष के दौरान घर-घर में तर्पण कर अपने पितरों को तृप्त किया जाता है। इस दौरान पितरों के नाम पर पिंडदान करने की भी परंपरा है। इसी दौरान बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला भी लगता है। १५ दिनों के इस मेले में देशभर से लोग अपनी तिथि के अनुसार आते हैं और तर्पण कर अपने पितरों के नाम पर पिंडदान करते हैं।

शास्त्रानुसार पितृपक्ष में क्या करें क्या ना करें
सात्विक भोजन करें, तामसिक भोजन ना करें
प्रतिदिन ऋषियों, देवताओं और पूर्वजों का तर्पण करें।
पूर्वजों की शांति के लिए ब्राह्मणों को दान दें।
शुभ और नए कार्य की शुरुआत न करें।
पितृ स्त्रोत का पाठ करें।

धर्म पालन करने से क्या होता है लाभ
पितृपक्ष में पितरों को आस लगी रहती है कि उनके पुत्र-पौत्रादि पिंडदान कर तिलांजलि देकर उन्हें संतुष्ट करेंगे। तर्पण तिल, जल और कुश से किया जाता है। हमारे धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि पितृ को पिंडदान करने वाला हर व्यक्ति दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, लक्ष्मी, पशु, सुख साधन और धन-धान्य आदि को प्राप्त करता है। पितृ की कृपा से ही उसे सब प्रकार की समृद्धि, सौभाग्य, राज्य तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पंडित आशुतोष तिवारी

लव्ववोलुआब यह कि श्राद्धपक्ष के दौरान यदि आप उसके नियमों का पालन नहीं करेंगे तो उससे होने वाले लाभों से भी वंचित रह जाएंगे। हिन्दू धर्म के किसी भी शास्त्र में इस अवधि के दौरान दान धर्म के उपयोग के अलावा किसी भी प्रकार की वस्तुओं का क्रय विक्रय करने की अनुमति नहीं दी है।

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