भोपाल। राजनीति में आलाकमान में पैठ और जीतने का माद्दा ही सफलता की कुंजी होती है। कार्यकर्ताओं का विरोध और समर्थन न तो किसी को टिकट दिला सकता है और न ही कटवा सकता है। यह बात मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा जारी उम्मीदवारों की पहली सूची ने जाहिर कर दी है।
राज्य में बीजेपी एक दशक से सत्ता में है, इसके चलते कई इलाकों के मतादाताओं से लेकर कार्यकर्ताओं में अपने जनप्रतिनिधियों को लेकर नाराजगी है। कार्यकर्ता तो पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आकर अपना आक्रोश जाहिर भी कर चुके हैं। बीते एक पखवाड़े से एक भी दिन ऐसा नहीं था, जब किसी न किसी क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने पार्टी दफ्तर आकर प्रदर्शन न किया हो।
बीजेपी के कार्यकर्ताओं के हुए विरोध के बावजूद मंत्री सरताज सिंह को सिवनी मालवा, रामकृष्ण कुसमारिया को राजनगर, बृजेंद्र प्रताप सिंह को पवई, जयंत मलैया को दमोह, अजय विश्नोई को पाटन के अलावा विधायक मोहन शर्मा को नरसिंहगढ़ से पार्टी ने फिर उम्मीदवार बनाया है। इतना ही नहीं पार्टी ने तीन सांसदों यशोधराराजे सिंधिया को शिवपुरी, भूपेंद्र सिंह को खुरई और के.डी. देशमुख को कटंगी से उम्मीदवार बनाया है।
बीजेपी की पहली सूची इस बात की गवाही देती है कि अभी हाल ही में दलबदल कर आने वालों को भी उम्मीदवार बनाने में परहेज नहीं किया गया है। निर्दलीय विधायक मानवेंद्र सिंह को महाराजपुर और दिव्यराज सिंह को सिरमौर से उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं बीजेपी ने कुल 20 विधायकों के अलावा दो मंत्रियों देवीसिंह सैयाम और रामदयाल अहिरवार को उम्मीदवार नहीं बनाया है। पार्टी ने जिन विधायकों व मंत्रियों के टिकट बदले हैं, उनमें 14 आरक्षित वर्ग से हैं।
बीजेपी ने एक तरफ जहां कार्यकर्ताओं के विरोध को दरकिनार किया है, वहीं ताकतवर विधायकों व मंत्रियों की पसंद का भी ख्याल रखा है। मंत्री अनूप मिश्र और रामकृष्ण कुसमारिया की सीट बदली है, वहीं मंत्री नागेंद्र सिंह की मर्जी पर उनके रिश्तेदार गगनेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पार्टी आगामी चुनाव में लोक कल्याण और विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच जाएगी। जहां तक उम्मीदवारों के चयन का फैसला है, इसे केंद्रीय चुनाव समिति ने सभी स्थितियों को देखते हुए लिया है।