भोपाल। मध्यप्रदेश के तीन लाख संविदा शिखक एवं अध्यापकों का एकमात्र नेता होने का दावा करने वाले मुरलीधर पाटीदार आगर जिले की सुसनेर विधानसभा से बतौर भाजपा प्रत्याशी चुनाव लड़ना चाहते हैं परंतु फिलहाल उनका टिकिट अटक गया है।
सनद रहे कि अपने टिकिट को लेकर मुरलीधर पाटीदार इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने नाम घोषित होने और अपनी नौकरी से इस्तीफा देने से पहले ही ग्रामीण इलाकों में जनसंपर्क शुरू कर दिया था। वो खुद को भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी बता रहे थे। चुनाव आयोग से भाजपा विधायक संतोष जोशी ने इसकी शिकायत भी की थी।
मुरलीधर पाटीदार का कहना था कि उनकी सीएम से ठोस बातचीत हो गई है और उन्होंने मजबूत आश्वासन दिया है इसलिए संशय की कोई बात ही नहीं है परंतु भाजपा की पहली सूची में मुरलीधर पाटीदार का नाम दिखाई नहीं दिया। अब पाटीदार की धड़कनें सचमुच बढ़ गईं हैं।
यहां बता रहे कि पिछले दिनों मुरलीधर पाटीदार लगातार समान काम समान वेतन को लेकर आंदोलन कर रहे थे। सरकार के आश्वासन और ठोस कदम उठाने के बावजूद पाटीदार ने हड़ताल का एलान किया। ना केवल एलान किया बल्कि जब हड़ताल अपने रंग पर नहीं आई तो खुद आमरण अनशन पर जा बैठे। हालांकि मनोहर दुबे गुट लगातार मुरलीधर पाटीदार का विरोध कर रहा था परंतु समान वेतन का लालच अध्यापकों को आंदोलन से जोड़ने के लिए काफी था।
शिवराज सरकार पर लगातार दबाव बनाया गया कि यदि उन्होंने मांगे नहीं मानीं तो उसे ना केवल ढाई लाख वोटों का नुक्सान होगा बल्कि ये ढाई लाख वोटर सरकार के खिलाफ काम करेंगे। कांग्रेस ने तत्काल इस संदर्भ में अपनी ओर से आश्वासन दिए लेकिन अचानक मुरलीधर पाटीदार ने अपना अनशन तोड़ दिया।
किस लिए किया था यह आमरण अनशन: समान वेतन या टिकिट |
इसके बाद कई बार आंदोलन की रणनीति बनी, अध्यापक हर हाल मे समान वेतन के आदेश जारी होने तक आंदोलन के मूड में थे परंतु पाटीदार लगातार हर आंदोलन की रणनीति पर पानी फेरते रहे। कैसे ना कैसे करके वो हर संभावित आंदोलन को स्थगित कराते रहे।
अंतत: जब टिकिट वितरण प्रक्रिया की शुरूआत हुई तो सारी असलियत सामने आ गई। मुरलीधर पाटीदार नवगठित आगर जिले की सुसनेर विधानसभा से टिकिट की दावेदारी करते नजर आए। इस दावेदारी के साथ ही संविदा शिक्षकों एवं अध्यापकों के तमाम संगठनों का पाटीदार के खिलाफ विरोध भी दिखाई दिया। अध्यापकों का कहना था कि यदि पाटीदार को टिकिट दिया गया तो सरकार नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे और अब मध्यप्रदेश के अध्यापक पाटीदार के साथ नहीं हैं।
शायद अध्यापकों की यही नाराजगी पाटीदार के टिकिट का खटाई में ले गई। जिन संविदा शिक्षकों एवं अध्यापकों की दम पर वो शिवराज सिंह चौहान पर दबाव बना रहे थे वो दबाव अब खत्म हो चुका है। इधर सुसनेर के भाजपा कार्यकर्ताओं सहित विधायक सहित कई दिग्गजों ने भी पाटीदार के नाम पर आपत्ति जताई है। अब देखना यह है कि दूसरी सूची में सुसनेर विधानसभा के प्रत्याशी का नाम घोषित हो पाता है या नहीं और यदि होता है तो कौन होगा।