रासुका की वैधानिकता पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल

shailendra gupta
ग्वालियर। क्या किसी एक आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत किसी व्यक्ति को निरूद्ध किया जा सकता है ? क्या अन्य आधार होने पर रासुका में निरूद्ध व्यक्ति के खिलाफ अन्य कारण पर्याप्त होंगे ?
इस सवालों के जवाब जानने के लिए हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के जस्टिस एसके गंगेले व जस्टिस जीडी सक्सेना की युगलपीठ ने मंगल सिंह उर्फ मंगू की याचिका को निर्णय के लिए लार्जर बेंच (तीन जजों की बेंच) को भेजा है। कोर्ट में मंगल सिंह के अधिवक्ता सर्वेश शर्मा ने याचिका पेश करते हुए कहा कि याची के खिलाफ इंजन चोरी की धारा 379, गाली-गलौज और रास्ता रोकने की धारा 327,294 व धारा 232, 394 के तहत तीन प्रकरण दर्ज है। याची से राष्ट्र को कोई खतरा नही हैं। इसलिए सिंह पर लगी रासुका को निरस्त किया जाए। युगलपीठ द्वारा भेजी गई याचिका पर लार्जर बेंच जो भी निर्णय लेगा। वह देश के सभी उच्च न्यायालय में मान्य होगा। रासुका लगने के बाद पुलिस रिपोर्ट न पहुंचने या अन्य कारणों से रासुका अपील में खारिज हो जाती है आरोपी निर्णय होने तक जेल में रहता है ऐसे में आरोपी जीवन जीने के अधिकार से बंचित रहता है।

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