राकेश दुबे@प्रतिदिन। हर चुनाव की तरह इस चुनाव के बाद आप ठगे से महसूस न हो | आपके मत को मान मिले और आपके प्रदेश में प्रजातान्त्रिक सरकार आपके मत से बने |
इसके लिए प्रजातंत्र की पहली और मजबूत कड़ी “मतदाता” अर्थात आपको, दल, उम्मीदवार,वादों भय और लालच से ज्यादा ध्यान इस बात पर रखना है कि देश में इन चालों से बचकर कैसे चुनाव हो ? और इसके लिए जरूरी है मतदान और आवश्कता पढने पर “नोटा” (इनमे से कोई उम्मीदवार नहीं) भी |
भारतीय मतदाताओं ने विदेशियों की उस धारणा को हमेशा नकारा है की प्रजातंत्र का सीधा सम्बन्ध साक्षरता और मतदान से है | उनकी धारणा थी कि साक्षर देश में ही मतदान ज्यादा होता है | भारत ने इस अवधारणा को उलट साबित किया है और कारण (स्वस्थ और अस्वस्थ) कुछ भी हो सकते हैं | मतदान का प्रतिशत विकसित देशों से ज्यादा रहा | इस पुनीत कार्य के बदले में मतदाता हमेशा ठगा गया और “जनसेवा” का ढोंग करने वाले “जनता के लिये सिरदर्द” साबित होने लगे |
यह स्थिति बदली जा सकती है | अपना मत देने से पहले सोचें की आप से जो मत मांग रहा है उसे मत मांगने का नैतिक अधिकार है ? वह जाति, धर्म भय या लालच से तो आपसे मतदान तो नहीं करा रहा है साथ ही यह भी जरुर देखें कि कोई आपको मतदान करने जाने से तो रोक नहीं रहा है | गरीबी या अमीरी का वोट डालने से कोई सम्बन्ध नहीं है | जितना ज्यादा मतदान होगा बेईमानों की संख्या घटेगी | कोई भी उम्मीदवार पसंद न आये तो नोटा कीजिये | अपनी सरकार खुद बनायेंगे, तो वह आपकी सुनेगी |
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com