भोपाल। अपने बेटों को राजनीति में जमाने और टिकिट दिलाने के लिए मध्यप्रदेश के नेताओं ने क्या कुछ नही किया, लेकिन जो कुछ सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने किया वो कोई नहीं कर पाया। गुड्डू ने ऐसी चाल चली कि हाईकमान भी चित्त हो गया और एनमौके पर कांग्रेस को वही करना पड़ा जो गुड्डू चाहते थे।
दरअसल, कांग्रेस ने आलोट विधानसभा से पप्पू बोरासी को टिकट दिया था। कांग्रेस को आस थी कि इस सीट से भाजपा अपने मंत्री मनोहर ऊंटवाल को मैदान में उतारेगी, लेकिन बाजी पलट गई। भाजपा ने यहां से थावरचंद्र गहलोत के बेटे जितेंद्र गहलोत को उम्मीदवार बना दिया।
लिहाजा कांग्रेस ने आनन-फानन में अपना प्रत्याशी बदला और कमल परमार को प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर डाली लेकिन चुनाव आयोग ने कमल का नामांकन रद्द कर दिया। कारण उसमें जाति प्रमाण पत्र संलग्न नहीं था। इसके अलावा उसमें बैंक अकाउंट की जानकारी भी नहीं दी गई थी। हालांकि कमल ने बी फार्म में अजीत बोरासी का नाम लिख दिया था, ताकि ऐन-केन प्रकारेण यदि नामांकन रद्द होता है, तो अजीत कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ सके।
इस पूरी कहानी में दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस से दोनों प्रत्याशी पहले पप्पू बोरासी और फिर कमल परमार सांसद प्रेमचंद गुड्डू के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। कहा जाता है कि पप्पू सांसद के यहां काम करते हैं, जबकि कमल गुड्डू के संसदीय क्षेत्र में उनका राजनीतिक कामकाज संभालते हैं। चूंकि सांसद गुड्डू ने पहले ही सुनियोजित तरीके से अपने बेटे अजीत बोरासी का नामांकन पत्र दाखिल करा दिया था, लिहाजा कमल के आउट होते ही अजीत कांग्रेस के प्रत्याशी बन गए। ?
हालांकि, पार्टी में अंदरूनी तौर पर अभी कमल परमार को अपना अधिकृत प्रत्याशी माना जा रहा है। मप्र प्रभारी मोहन प्रकाश और प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर नीखरा कमल को ही पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बता रहे हैं।