नई दिल्ली। चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन से इनकार करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी उस विवादास्पद टिप्पणी को सही ठहराया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों के संपर्क में है और भाजपा नफरत की राजनीति में शामिल है।
राहुल गांधी ने चुनाव आचार संहिता के कथित उल्लंघन को लेकर चुनाव आयोग के नोटिस पर अपने आठ पेज के विस्तृत जवाब में यह दलील देते हुए अपना बचाव किया कि उन्होंने कोई गुनाह नहीं किया है। राहुल ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि वह उनके भाषण को समग्रता में देखें।
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने सिर्फ वही बयान दिया जो लोग सोचते हैं और जो तथ्य हैं। राहुल ने कहा कि अपने भाषण में वह अपनी पार्टी की विचारधारा को जाहिर कर रहे थे और बता रहे थे कि भाजपा की विचारधारा क्या है।
राहुल ने अपने जवाब में कहा कि कांग्रेस के उपाध्यक्ष होने के नाते उन्हें सांप्रदायिक सद्भाव की अपनी पार्टी की विचारधारा के साथ खड़े होने का पूरा हक है और इसके बारे में बोलने का भी हक है। उनके बारे में बताना भी उनका काम है जो सांप्रदायिक सद्भावना बिगाड़ना चाहते हैं।
राहुल का यह जवाब आयोग द्वारा तय किए गए शुक्रवार को 11:30 बजे तक की समय सीमा से कुछ देर पहले एक सीलबंद लिफाफे में मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजा गया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त की अध्यक्षता में चुनाव आयोग ने अपनी बैठक में राहुल गांधी के जवाब पर विचार किया लेकिन इस पर अभी फैसला किया जाना बाकी है।
आयोग की बैठक के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त वी एस संपत ने संवाददाताओं से कहा कि जवाब आ गया है। यह विचाराधीन है। निर्णय जितनी जल्दी संभव होगा लिया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या इस मुद्दे पर विचार-विमर्श हुआ है? संपत ने कहा कि यह मामला आयोग के विचाराधीन है और चूंकि उसके पास चर्चा करने के लिए कई अन्य मुद्दे हैं गांधी के मामले पर पूरे विस्तार से चर्चा नहीं हुई और अभी भी यह प्रक्रियाधीन है।
आयोग ने राहुल गांधी को उनके उन भाषणों के लिए 31 अक्तूबर को नोटिस जारी किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों के संपर्क में है और भाजपा पर घृणा की राजनीति करने का आरोप लगाया था। राहुल गांधी को पहले 4 नवंबर तक इस नोटिस का जवाब देने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने जवाब के लिए एक सप्ताह का और समय मांगा था जिस पर विचार करने के बाद आयोग ने उन्हें शुक्रवार की सुबह 11:30 बजे तक जवाब देने की मोहलत दी थी ।
आयोग ने राहुल द्वारा राजस्थान के चुरू और मध्यप्रदेश के इंदौर में दिए गए भाषणों की जांच करने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष से जवाब देने को कहा था कि आदर्श चुनाव आचार संहिता के प्रथम दृष्टया उल्लंघन को लेकर उनके खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई शुरू की जाए। राजस्थान और मध्यप्रदेश सहित पांच राज्यों में नवम्बर दिसम्बर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसके चलते चुनाव आचार संहिता लागू हैं।
भाजपा ने राहुल गांधी के भाषणों का हवाला देते हुए चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत की थी कि कांग्रेस उपाध्यक्ष सांप्रदायिक आधार पर वोट की अपील करके और विभिन्न समुदायों के बीच घृणा पैदा कर आचार संहिता का कथित रूप से उल्लंघन कर रहे हैं।
भाजपा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सम्पत को इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपा था, जिसमें मांग की गई थी कि कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर दी गई मान्यता को वापस लिया जाए और राहुल के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई की जाए। (भाषा)