भोपाल। किराएदार द्वारा मकान पर कब्जा करने या मकान मालिक द्वारा अचानक किराया बढ़ा देने जैसे विवादों के निपटारे के लिए राज्य सरकार किराया ट्रिब्यूनल का गठन करेगी। ये ट्रिब्यूनल मकान मालिक और किराएदारों के बीच झगड़े सुलझाएंगे।
इससे लोगों के सिविल कोर्ट में लगने वाले लंबे वक्त और धन की बचत हो सकेगी। साथ ही शहरों में किराएदारी को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे लोगों को मकान आसानी से मिल सकेंगे। यह संभव होगा, राज्य शासन द्वारा मप्र परिसर किराएदारी अधिनियम 2012 के तहत बनाए नए नियमों से। फिलहाल, भोपाल और इंदौर में ऐसे ट्रिब्यूनल बनाए जाएंगे।
राज्य शासन के निर्देश पर हाउसिंग बोर्ड ने ये नियम बनाए हैं। बोर्ड ने इन नियमों को राज्य शासन के पास भेजा है। अब शासन नियमों को प्रकाशित कर इन्हें लागू करेगा। इसमें मकान मालिक और किराएदारों के बीच होने वाले संबंधों को कानून के दायरे में लाया गया है। इसके तहत अब मकान मालिक हर साल दस फीसदी से ज्यादा किराया नहीं बढ़ा सकेंगे।
साथ ही मकान मालिक और किराएदार द्वारा करार में ही तय किराया ही मान्य होगा। अब मकान-मालिक और किराएदारों के बीच पारदर्शिता बढ़ाने के लिए किराया नियंत्रक अधिकारी नियुक्त होगा, जो सभी मकान-मालिक और किराएदारों का रिकॉर्ड रखेगा। हालांकि, अभी आदर्श चुनाव आचार संहिता के कारण इसे दिसंबर में नई सरकार के गठन होने पर प्रकाशित किया जाएगा।