भोपाल। कांग्रेस के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि बीजेपी के दस वर्ष के शासनकाल में एक बात तो साफ हो गई है कि यह दल जब भी राजनीतिक कार्रवाई करता है तो वह सिर्फ दलित व जनजातीय वर्ग पर होती है। पार्टी ने टिकट बदले भी हैं तो अधिकांश इसी वर्ग के हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी इसी वर्ग को दोषी मानकर चलती है, जबकि अन्य वर्ग के लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने से कतराती है। अगर कार्रवाई करती भी है तो जल्दी ही अपने फैसले को बदल भी देती है। मंत्री अजय विश्नोई, अनूप मिश्रा और नरोत्तम मिश्रा इसके उदाहरण हैं।
राजनीतिक विश्लेषक शिवअनुराग पटेरिया का कहना है कि बीजेपी ने बगावत के डर से टिकट काटने में कंजूसी की है। उसे इस बात का एहसास था कि अगर उसने ताकतवर मंत्रियों-विधायकों को टिकट नहीं दिए, तो वे बगावत कर सकते हैं। इसीलिए उसने सर्वेक्षणों को दरकिनार कर उनके टिकट नहीं काटे हैं, अगर काटे भी हैं तो कमजोरों के काटे हैं।
बीजेपी की पहली सूची में उन लोगों की भरमार है जिनके खिलाफ नाराजगी जगजाहिर है। अब देखना है कि उन्हें उम्मीदवार तो बना दिया गया है, मगर जीतने अथवा जिताने की गारंटी कौन लेगा।