टिकिट नहीं मिला तो आत्महत्या कर ली

shailendra gupta
मध्‍यप्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने के एक इच्‍छुक ने पार्टी टिकट न मिलने की हताशा में जहर खाकर जान दे दी. टिकट वितरण पर अपना असंतोष जाहिर करने के लिए अब तक नारेबाजी, पुतला फूंकना, इस्तीफा और प्रदर्शन आदि का सहारा लिया जाता था. लेकिन टिकट न मिलने के कारण आत्महत्या करने का यह संभवतः अकेला मामला होगा.

टिकट न मिलने पर ज़हर खाकर जान देने की ये घटना उज्‍जैन जिले के आगर कस्‍बे की है. स्‍थानीय कांग्रेस नेता नरसिंह मालवीय ने सुबह साढ़े दस बजे कांग्रेस के कुछ नेताओं को फोन पर सूचना दी कि उन्‍होंने सल्‍फास की गोली खा ली है.

कांग्रेस नेता नरसिंह ने यह फोन एक मंदिर से किया था. कांग्रेस के कई नेता मंदिर पहुंचे और मालवीय को बेहोशी की हालत में सिविल अस्‍पताल आगर ले गए. हालत ज्‍यादा बिगडने पर उन्‍हें उज्‍जैन भेजा गया. मगर उज्‍जैन में इलाज के दौरान उन्‍होंने दम तोड़ दिया.

नरसिंह मालवीय उज्‍जैन जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव पद पर कार्यरत थे. वे जिला पंचायत के भी सदस्‍य रह चुके थे.

विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला
नरसिंह मालवीय ने आगरा विधानसभा सीट से कांग्रेस का टिकट मांगा था. पिछली बार भी वे टिकट के दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए थे.

इस बार भी उन्‍होंने टिकट की पूरी आस लगा ली थी लेकिन जब कांग्रेस की ओर से मधु गहलोत का नाम घोषित किया गया तो वे निराश हो गए. पार्टी के इस फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करते हुए मंगलवार को उन्‍होंने पुतला दहन भी किया गया था.

शाजापुर के कांग्रेस सांसद सज्‍जनसिंह वर्मा के मुताबिक, ''मैंने नरसिंह का नाम पैनल में रखवाया था, लेकिन उनकी जगह पार्टी ने किसी और को उम्‍मीदवार बना दिया. यह स्‍वाभाविक प्रक्रिया है. टिकट तो किसी एक को ही मिलेगा. न‍रसिंह भावुक किस्‍म के कार्यकर्ता थे. हताशा में आकर उन्होंने यह कदम उठा लिया जो बेहद दुखद है." वर्मा ने मालवीय के परिजनों को पांच लाख रूपए की मदद की घोषणा की है.

टिकट वितरण को लेकर कार्यकर्ताओं में असंतोष का यह अकेला मामला नहीं है. मध्‍यप्रदेश की दर्जन भर से ज्‍यादा विधानसभा सीटों के लिए हुए टिकट वितरण को लेकर नाराजगी है. इन सभी सीटों पर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है.

प्रदेश कांग्रेस के भोपाल स्थित मुख्‍यालय पर भी पिछले दो दिनों से प्रदर्शन हो रहे हैं. मध्‍यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्‍ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं- ''कार्यकर्ताओं को जोश के साथ होश भी रखना चाहिए.''

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