करैरा विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी का विरोध, कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन सौंपा

shailendra gupta
भोपाल। शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा सीट पर तय किए गए भाजपा प्रत्याशी का व्यापक विरोध दर्ज कराया जा रहा है। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने ना केवल जिलाध्यक्ष को प्रत्याशी बदलने का ज्ञापन सौंपा है बल्कि भोपाल से लेकर दिल्ली तक सभी नेताओं को इस गलत निर्णय को बदलने का निवेदन भी किया है।

सनद रहे कि करैरा विधानसभा से वर्तमान में भाजपा के रमेश खटीक विधायक हैं और वो 10 हजार वोटों से जीतने वाले विधायकों में शामिल हैं बावजूद इसके उनका टिकिट काट दिया गया, इससे उनके समर्थकों में खासी नाराजगी है।

करेला और नीम चढ़ा तो तब हो गया जब भाजपा ने शिवपुरी के एक नेता ओमप्रकाश खटीक को टिकिट दे दिया।इससे करैरा विधानसभा के शेष बचे नेता भी नाराज हो गए। भाजपाईयों का आरोप है कि क्या संगठन को पूरे करैरा, नरवर क्षेत्र में कोई भाजपा नेता नहीं मिला जो उन्होंने बाहरी प्रत्याशी को यहां चुनाव लड़ने भेजा है।

सनद रहे कि ओमप्रकाश खटीक 2003 में भी विधायक चुने गए थे परंतु इसके बाद ओमप्रकाश खटीक एक भाजपा नेता से अचानक ही कारोबारी हो गए और देखते ही देखते करोड़पति कारोबारियों में शुमार हो गए। जहां एक ओर उनकी खदानें संचालित हो रहीं हैं वहीं बस ट्रेवल्स का कारोबार भी चल रहा है। इसके अलावा पद का दुरुपयोग करते हुए जो भी संभव हो सकता था वो सारे ठेके और कारोबार ओमप्रकाश खटीक के परिवारजनों को मिले।

बस इसी बात से भाजपा का आम कार्यकर्ता, नेता व शिवपुरी के ठेकेदार इत्यादि ओमप्रकाश खटीक से लगातार नाराज चल रहे हैं। पूर्व में वो कोलारस से विधायक रह चुके हैं, परंतु 2003 ये 2008 आते आते हालात यह हो गए कि ओमप्रकाश खटीक के नाम पर वोट देने वालों की संख्या गिनना मुश्किल हो गया।

आरोप लगाए जा रहे हैं कि 2013 में एक बार फिर मंत्री बनने की लालसा के साथ ओमप्रकाश खटीक तमाम तिकड़में लगाकर टिकिट हथिया लाए हैं, जबकि यहां से रमेश खटीक के अलावा भी कई दावेदार मौजूद थे, इतना ही नहीं युवावर्ग उनके बेटे गगन खटीक को प्रत्याशी बनाने की मांग कर रहा था।

बावजूद इसके अचानक बिना ओमप्रकाश खटीक का नाम फाइनल हो जाने के बाद करैरा, नरवर के तमाम भाजपाई स्तब्ध हैं एवं ओमप्रकाश खटीक को जबरन थोपा गया प्रत्याशी मान रहे हैं। बताया जा रहा है कि टिकिट फाइनल होने के बाद करैरा विधानसभा के कार्यकर्ता ओमप्रकाश खटीक का पुतला जलाकर अपना विरोध दर्ज कराने जा रहे हैं।

इधर राजनैतिक विष्लेषकों का कहना है कि यदि भाजपा ने करैरा में अपना प्रत्याशी नहीं बदला तो इस सीट पर भितरघात को किसी भी स्थिति में कंट्रोल नहीं किया जा सकेगा और यह सीट बीएसपी के हाथ में चली जाएगी। सनद रहे कि करैरा विधानसभा में बागियों और दूसरे दलों को पहले भी तवज्जो मिलती रही है। यहां से भाजपा का बागी यादव परिवार सपा के टिकिट पर चुनाव लड़कर जीत भी चुका है एवं बीएसपी का वोटबैंक भी यहां कतई कमजोर नहीं है।

इसे इत्तेफाक कहें या नियति परंतु शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा का इतिहास रहा है कि उसने कभी भी वर्तमान विधायक को पुन: चुनकर वापस नहीं भेजा। भाजपा ने यहां भी वर्तमान विधायक प्रहलाद भारती को टिकिट थमा दिया है, अत: माना जा रहा है कि यह सीट भी भाजपा के खाते से जाती रहेगी। ऐसी स्थिति में 2008 में शिवपुरी जिले की 4 सीटों पर कब्जा जमाने वाली भाजपा 2 सीटों पर सिमटने की संभावनाएं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!