30 साल का सरकारी रिकॉर्ड बिना अनुमति जला दिया

shailendra gupta
खरगोन। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के दामखेड़ा स्थित दफ्तर के पीछे महकमे के कर्मचारियों ने करीब एक ट्रॉली विभागीय सरकारी रिकॉर्ड फूंक डाले। सूचना मिलते ही कलेक्टर के निर्देश पर अपर कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी, संयुक्त कलेक्टर एस.के. भंडारी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की।
एडीएम श्री सूर्यवंशी ने मौके पर पहुंचते ही अमले को आग पर काबू करने के निर्देश दिए। साथ ही जो दस्तावेज अधजले थे उन्हें बरामद कर लिया गया। अधजले हाल में कई तरह के दस्तावेज बरामद किए गए हैं। 

30 साल का रिकॉर्ड खाक
वर्ष 1975 से साल-दो साल पहले तक के रिकॉर्ड जलाए गए। बरामद किए गए रिकॉर्ड से इस बात की तस्दीक हुई। हालांकि विभाग का कोई अधिकारी या कर्मचारी दस्तावेज बरामद किए जाने के दौरान मौजूद नहीं था। सिर्फ एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को छोड़कर।

ये रिकॉर्ड जलाए
विभागीय गोपनीय पत्राचार। जिसमें कर्मचारियों का कैरेक्टर सर्टिफिकेट भी था।
मासिक खर्च से संबंधित दस्तावेज।
अन्य कुछ दस्तावेज भी महत्वपूर्ण प्रकृति के थे।

इन बिंदुओं पर पाए गए दोषी
 यह तर्क कि नए भवन में शिफ्टिंग के लिए पुराने रिकॉर्ड जलाए, गलत पाया गया। मौका मुआयना में पता चला कि नया भवन बनकर तैयार नहीं हुआ है।
 विनिष्टीकरण की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
 रिकॉर्ड जलाने से पहले न ऑडिटर जनरल को सूची दी गई, न सक्षम अधिकारी की अनुमति ली गई।
 दस्तावेजों की छंटनी किए बिना जलाया गया और तर्क दिया गया कि सिर्फ पुराने रिकॉर्ड जलाए हैं। जबकि नए रिकॉर्ड भी थे।
पुराने भवन में भी दस्तावेज रखने की पर्याप्त जगह। फिर भी रिकॉर्ड जलाने की जल्दबाजी की गई।

अधीक्षण यंत्री पर जांच, 6 कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई प्रस्तावित
सूत्रों की मानें तो जांच में दस्तावेजों को जलाने में अधीक्षण यंत्री श्री देवड़ा की संलिप्तता साबित नहीं हुई। जिस दिन दस्तावेज जलाए गए उस दिन वे दफ्तर में भी मौजूद नहीं थे। बयान में भी कर्मचारियों ने उनके निर्देश पर ऐसा करना नहीं बताया। इससे उन्हें रिपोर्ट में संदेह का लाभ दिया गया लेकिन मामले की गंभीरता और दफ्तर के प्रति उनकी जवाबदारी को देखते हुए उनके खिलाफ भी विभागीय जांच की कार्रवाई प्रस्तावित की गई।  कलेक्टर ने शासन को प्रस्ताव भेजा है।  कलेक्टर ने रिपोर्ट को गंभीरता से लिया और छह कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन व नहर क्रमांक 7 अधीक्षण यंत्री श्री देवड़ा के खिलाफ विभागीय जांच की कार्रवाई का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। रिकॉर्ड को आग के हवाले करने वाले लोगों के खिलाफ प्रशासन एफआईआर भी दर्ज करा सकता है।

भ्रष्टाचार छिपाने की नीयत नहीं, पर प्रक्रिया के पालन में कोताही जांच में दस्तावेजों की जांच से पता चला कि भ्रष्टाचार छिपाने की नीयत नहीं थी, लेकिन विनिष्टीकरण में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।  
  1. नरेंद्र सूर्यवंशी, एडीएम, खरगोन
  2.  इन पर गिरेगी गाज
  3.  ओपी सूर्यवंशी, कार्यालय अधीक्षक।
  4.  एससी टेलर, ड्राफ्टमैन।
  5.  आरएल वर्मा, सहायक ग्रेड-1
  6.  एसके पंवार, सहायक ग्रेड-1
  7.  हरिकृष्ण सांवले, सहायक ग्रेड-2
  8.  दामोदर महाजन, सहायक ग्रेड-2

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