इंदौर। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 9 हजार वर्ग फीट के बंगले को लेकर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है। वहीं मध्यप्रदेश के इंदौर में अफसर इससे लगभग 60 गुना ज्यादा बड़े बंगलों में रहते हैं। यहां एक अफसर का ही बंगला 5.22 लाख वर्ग फीट में तक का है।
इंदौर के संभागायुक्त, आईजी, कलेक्टर डीआईजी के बंगले केजरीवाल के कथित बंगले से काफी बड़े हैं। बंगले के साथ जनसेवकों को भारी-भरकम सरकारी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जिसमें गार्ड, टेलीफोन, वाहन आदि हैं। नौकरशाहों की सुविधाओं को लेकर नितेश पाल, सुचेंद्र मिश्रा की पड़ताल -
आईजी-विपिन माहेश्वरी
रेसीडेंसी एरिया के इस बंगले में आईजी दफ्तर और निवास दोनों हैं। निवास के लिए जो बंगला है, वो ही 2,927 वर्ग फीट से ज्यादा है। बंगले पर एसएफ के 10, पुलिस के 10 और होमगार्ड के 7 जवान तैनात रहते हैं। अंदर भी 20 से ज्यादा कर्मचारी लगे हैं। 2 गाडियां हर समय रहती हैं। बिजली बिल राज्य सरकार के खाते में जाता है। सिमी आतंकियों को गिरफ्तार करने के चलते माहेश्वरी के साथ हमेशा गनर सहित एसएफ और पुलिस के 5 जवान चलते हैं।
संभागायुक्त-संजय दुबे
बंगला- 2.5 एकड़ (1.8 लाख वर्ग फीट)
रेसिडेंसी एरिया में बी-1 का बंगला अलाट है। एक छोटे कमरे में दफ्तर भी है। सुरक्षा के लिए एक बॉडी गार्ड है। वहीं सुरक्षा के लिए होमगार्ड के 5 जवान व पुलिस के 5 जवान भी तैनात रहते हैं। इसके अलावा एक दर्जन कर्मचारी भी उनकी और बंगले की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं। उन्हें दो गाडियां भी मिली हैं। वहीं बंगले में चलने वाले दफ्तर की बिजली के लिए उन्हें सरकार से अलग से पैसा भी मिलता है।
डीआईजी-राकेश गुप्ता
बंगला- तीन एकड़ (1.30 लाख वर्ग फीट)
एबी रोड पर मौजूद बंगले में डीआईजी का छोटा दफ्तर भी है। पुलिस के 10 जवानों के साथ होमगार्ड के भी पांच जवान सुरक्षा में लगे हैं। उन्हें अर्दली सहित 4 कर्मचारियों की सुविधा बतौर स्टॉफ दी गई है। दो गाडियां ड्रायवर के साथ उपलब्ध हैं। गाडियों का
खर्चा सरकारी मद से ही जाता है। बंगले में ही एक छोटा दफ्तर चलता है, इसके लिए भी पैसा मिलता है।
कलक्टर-आकाश त्रिपाठी
बंगला- 2 एकड़ लगभग (87.120 हजार वर्गफीट)
रेसीडेंसी एरिया में बी-2 बंगला पीडब्ल्यूडी ने दिया है। बंगले एक कमरे में दफ्तर है, जो सभी सुविधाओं से संपन्न है। बंगले में होमगार्ड के जहां पांच जवान हैं। साथ ही जिला प्रशासन से आधा दर्जन से ज्यादा कर्मचारी मिले हैं। 2 वाहन भी ड्रायवर के साथ मिले हैं। सरकार की ओर से कलेक्टर को घर में चलने वाले दफ्तर के लिए अलग से बिजली बिल की राशि भी उपलब्ध कराई जाती है।