राजेश निगम/छतरपुर। लवकुशनगर अनुविभाग अंतर्गत ग्राम शंकरगढ़ (कटिया) में दो गौशालाएं संचालित है और दोनों ही गौशालाओं में गायें भूख, बीमारी और ठण्ड के कारण लगातार मर रही है। बाबजूद इसके प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं है।
दुःख की बात ये है कि शासन से मिलने वाली भारी भरकम अनुदान राशि इन गौशाला संचालकों के लालच का कारण बनी हुयी है। प्रतिदिन लगभग 10 -12 गाय कालके गाल में समा रही है। और प्रशासन सहित धर्म के तथा कथित ठेकेदार इस क्रूरतम घटना से अंजान बने बैठे है।
आवारा जानवरों से त्रस्त स्थानीय किसानों द्वारा लगातार पूरे क्षेत्र से ऐसी गौशालाओं में बड़ी संख्या में गायों को लाकर बंद कर दिया जाता है। इन गायों कि देखरेख गौशाला सचालकों द्वारा कि जाती है। जिसके एवज में शासन द्वारा गौशाला संचालकों को शासन से प्रति गाय के हिसाब से अनुदान राशि उनके खातों में भेजी जाती है लेकिन गौशाला संचालक गायों के नाम पर शासन से प्राप्त अनुदान को हजम करने के लिए गौशाला कि गायों को चारा - भूसेकि व्यवस्था नहीं करते। जिसके कारण बड़ी संख्या में गायों कि मौत हो रही है।
ऐसा ही हाल चन्दला तहसील के अन्तर्गत चल रही गौशालाओं का है। चन्दला से महज 12 किमी दूर ग्राम कटिया में पास दो गौशाला संचालित है। जिनमे से एक मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद् स्पंदन समिति द्वारा संचालित है जिसका कोई भी पंजीयन नहीं है सिर्फ पंजीयन करवाने के लालच में शंकरगढ़ के बहादुर सिंह द्वारा इन गायों को गौशाला के नाम पर कैद करके मार डाला क्योंकि न तो इन गायों को खाने के लिए चारा दिया गया और न ही इनकी बीमारी का इलाज करवाया गया बल्कि बहादुर सिंह खुद किसी कानूनी मामले में फरार है।
वहीँ थोड़ी ही दूर पर दूसरी गौशाला संचालित है जिसका शासन द्वारा पंजीयन भी किया गया है जिसका सञ्चालन राधे श्याम तिवारी करते है इस कन्हैया गौशाला में सर्वाधिक गायें भूंख और बीमारी के कारण मरी, इन गायों में खुरपका तथा गलघोंटू जैसी बीमारियां है मगर इस गौशाला के एक चरवाहे पप्पू तिवारी ने बताया कि बलकौरा के डॉ सी सी शुक्ला जी से उन्होंने कई बार कहा मगर वे आज तक गायों को देखने नहीं आये। यहाँ गायों को खजूर के पत्ते खिलाये जा रहे है जिसपर राधेश्याम तिवारी के पुत्र बाराती तिवारी ने बताया कि जुलाई में एक लाख रूपए मिले थे जो कि अब ख़त्म हो गये है इसलिए हम मजबूर है।
लवकुश नगर से बछौन मार्ग पर ग्राम कटिया और शंकरगढ़ के मध्य मरी हुयी गायों का अम्बार देखा जा सकता है। एक माह में लगभग 150 गायें मर चुकी है,कई बछड़ों ने भूंख के कारण दम तोड़ा, गायों कि मृत्यु की मुख्य बजह भूंख और बीमारी है जबकि प्रशासन द्वारा एक लाख रूपए (1,00,000) वार्षिक इन गौशालाओं में गायों कि देख रेख व रख रखाव के लिए दिया जा रहा है. लेकिन इसके बाद भी गौशाला संचालित करने वाले पहले तो इन गायों को भूँखा रखकर तथा बीमार गायों का इलाज न करके इनकी हत्या करते है और फिर इन मरी हुयी गायों कि हड्डियां तथा खाल तक उधेड़ कर बेंच देते है एक वयस्क गाय कि खाल की कीमत 700 होती है खाल उधेड़ने वाले इन गौशाला संचालकों को 200 रुपये प्रति नग देते है।
बजरंग दल के जिला संयोजक संजू गुप्ता ने कहा कि गाय में 33 करोड़ देवी देवताओं का निवास होता है, साथ ही गाय को हम माँ कहते है, जो भी हिन्दू ऐसा करता है वो हिंदुओं के नाम पर कलंक है और हम अपनी माँ कि हत्या करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाकर रहेंगे,उन्होंने गायों कि दुर्दशा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सम्बंधित अधिकारीयों से शिकायत करने तथा कार्यवाही न होने पर आंदोलन कि चेतावनी दी है।
मैं अभी कमिश्नर साहब कि मीटिंग में हूँ। इस मामले कि जाँच मैं लौट कर करुँगा।
हेमकरण धुर्वे
एसडीएम लवकुशनगर