महंगाई और भ्रष्टाचार पर चुप क्यों रहे राहुल गांधी

shailendra gupta
नरेन्द्र सिंह तोमर। आल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव अभियान की कमान संभालते हुए जिस तरह अपनी पीठ थपथपायी देश की जनता को हताशा ही हाथ लगी है।

जिस आधार कार्ड को उपहार बताया है देश के अधिकांश नागरिक उसके लाभ से वंचित होने जा रहे है। न तो लोगों में उतनी साक्षरता है और न देश में बैंकिग का इतना नेटवर्क है फिर चारों ओर सब्सिडी में कटौती की जा रही है। पेट्रोलियम उत्पादन नियमित रूप से हर माह महंगे किए जा रहे है। रसोई गैस की महंगाई ने जनता के मुंह से निवाला छीन लिया है। फिर कौन सी राहत आधार कार्ड देने वाला है।

राहुल गांधी कोरी सहानुभूति दिखाकर जनता के जख्मों पर मरहम नहीं लगा सकते है। खाद पर सब्सिडी समाप्त हो गयी है और 500 रू. की बोरी का दाम बढ़ाकर सवा बारह सौ रू. कर दिए है। खेती अलाभकारी बना दी गयी है।

दो दशक पूर्व संवैधानिक संशोधन करके 73 और 74 के तहत निकायों के लिए सत्ता का विकेन्द्रीकरण दिया गया लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों में ही पंचायती राज संरचना लकवाग्रस्त है। भाजपा शासित राज्यों में विकास और सुषासन का चक्र तेजी से घूमा है और विकास दर बढी है। कांग्रेस शासित राज्यों में विकास और सुषासन दूर की कौडी बनी हुई है।

यदि भाजपा शासित राज्यों की विकास दर माइनस कर दी जाए तो देश की विकास दर 3, 4 प्रतिशत पर सिमट जायेगी। कांग्रेस उपाध्यक्ष अधिकार सौंपे जाने का डंका पीट रहे है, लेकिन आम आदमी जिस मंहगाई और भ्रष्टाचार के दंश से झुलस रहा है। कांग्रेस के पास इसका कोई जवाब नहीं है।

आखिर महंगाई और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के मामले में राहुल गांधी मौन क्यों है। देश की जनता का आक्रोश कांग्रेस को सबक सिखा देगा। राहुल गांधी को पीएम का प्रत्याशी घोषित न करके कांग्रेस ने चुनाव के पहले ही पराजय स्वीकार कर ली है और देश के कनिष्ठ दलों के दोयम दर्जे के पार्टनर होना स्वीकार कर लिया है।

  • लेखक श्री नरेन्द्र सिंह तोमर भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष एवं लोकसभा सदस्य हैं। 


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