कांग्रेसी दिग्गजों की घेरने की तैयारी कर रही है भाजपा

shailendra gupta
भोपाल। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की पहली बैठक 26 जनवरी के आसपास प्रस्तावित है। मप्र इकाई भी कोशिश में है कि इस बैठक में वह कुछ सीटों को मंजूरी मिल जाए। इसी के मद्देनजर भाजपा ने मप्र में लोकसभा की 29 में उन सीटों का सर्वे शुरू कर दिया है जो या तो कांग्रेस के पास हैं या जहां भाजपा प्रत्याशी की स्थिति बेहतर किए जाने की संभावना है।

केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ की छिंदवाड़ा सीट पर भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को सक्रिय किया है। कुलस्ते क्षेत्र में आदिवासी वोट बैंक व जीत की संभावनाएं टटोलने के बाद पार्टी को बताएंगे कि उन्हें कमलनाथ के खिलाफ उतरना है या नहीं।

फग्गन ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि पार्टी के कहने पर आदिवासी क्षेत्र का आंकलन कर रहा हूं। कमलनाथ के अलावा भाजपा इस बार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पीसीसी चीफ कांतिलाल भूरिया को भी घेरने की तैयारी कर रही है। गुना संसदीय सीट से पिछली बार सिंधिया के मुकाबले भाजपा ने नरोत्तम मिश्रा को मैदान में उतारा था लेकिन मिश्रा ढाई लाख वोटों से हार गए। इस बार इस सीट पर प्रत्याशी तय करना भाजपा के लिए चुनौती होगी। सूत्रों की मानें तो पूर्व राज्यमंत्री केएल अग्रवाल और राव देशराज सिंह दावेदार के रूप में सामने आ सकते हैं।

अग्रवाल हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे हैं, लेकिन क्षेत्र में अग्रवाल और जयभान सिंह पवैया को सिंधिया का धुर विरोधी माना जाता है। इसी तरह भूरिया की संसदीय सीट रतलाम को लेकर भी भाजपा रणनीति बना रही है। इसी के तहत रविवार को मुख्यमंत्री ने झाबुआ और अलीराजपुर से अपनी ‘आओ बनाए मध्यप्रदेश’ अभियान की शुरुआत की है। भाजपा इस बार कांतिलाल भूरिया के खिलाफ पूर्व सांसद दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया को मैदान में उतार सकती है। पिछले चुनाव में दिलीप सिंह को कांतिलाल भूरिया ने पराजित कर दिया था।

इन छह सीटों पर असमंजस
दमोह, खजुराहो, सीधी, होशंगाबाद, भोपाल और बैतूल सीट को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता असमंजस में हैं। इन छह सीटों में से होशंगाबाद छोड़कर पांच भाजपा के पास हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल होशंगाबाद से चुनाव लडऩा चाहते हैं, जबकि पार्टी दमोह सीट पर भी उनकी उम्मीदवारी टटोल रही है। शेष सीटों की स्थिति सर्वे रिपोर्ट आने के बाद साफ होगी कि उम्मीदवार रिपीट होगा या बदला जाएगा।

आठ सीटों पर चेहरे तय करना होगा चुनौती
ग्वालियर, गुना, सागर, रीवा, बालाघाट, राजगढ़, देवास और उज्जैन संसदीय सीट चेहरे तय करना भाजपा के सामने चुनौती होगी। ग्वालियर व सागर से पिछली मर्तबा सांसद चुने गए यशोधरा राजे व भूपेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव जीतकर मंत्री बन चुके हैं। लिहाजा यह सीट खाली है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर अपनी मुरैना संसदीय सीट या ग्वालियर से चुनाव लड़ सकते हैं। सागर में भाजपा के सामने सुधा जैन, संतोष साहू, रजनीश अग्रवाल और भूपेंद्र सिंह की पत्नी सरोज सिंह दावेदार के रूप में सामने हैं।

पूर्व मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया भी खजुराहो, दमोह या सागर संसदीय सीट से उम्मीदवारी रखने की तैयारी में हैं। वे हाल ही में विधानसभा चुनाव हार गए हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह सागर से चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा किसको मैदान में उतारती है यह देखने वाली बात होगी। बालाघाट से सांसद चुने गए केडी देशमुख भी विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। पूर्व सांसद चंद्रमणि त्रिपाठी के निधन के बाद रीवा में भी भाजपा के पास प्रत्याशी नहीं है। राजगढ़, देवास और उज्जैन सीटें इस समय कांग्रेस के पास हैं। देवास और उज्जैन सीट से पिछली बार भाजपा के प्रत्याशी रहे थावरचंद गेहलोत राज्यसभा में चले गए हैं। जटिया की उम्मीदवारी पार्टी में विचाराधीन है।

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