भोपाल। संविदा शाला शिक्षक भर्ती में अधिकारीयों के मनमाने तरीके से अपात्र अभ्यर्थीयों को नियुक्ति दी जा रही है और साथ ही पात्र अभ्यर्थीयों को गलत नियम बताकर बाहर कर दिया गया है।
ऐेसे ही नियम उन अभ्यर्थीयों कों बाहर करने के लिये अपनाई गई जिन अभ्यर्थीयों के 12 वीं व स्नातक में 45 प्रतिशत से अधिक व 50 प्रतिशत से कम अंक थे ऐसे अभ्यर्थीयों को यदि प्रथम काउन्सलिगं में लिया जाता तो आज वो भी संविदा शिक्षक बन गये होते पर प्रथम काउंसलिगं में गलत नियम बताकर बाहर कर दिया गया और ऐसे अभ्यर्थीयों कों जिनकी पात्रता परीक्षा के समय बी.एड./डी.एड. की डिग्री नही थी ऐसे अभ्यर्थीयों के लिये भर्ती प्रक्रिया कों दो साल तक रोक कर बी.एड./डी.एड. कराई गई ओर फिर उनको फर्जी तरीके से नियुक्तियां दी गई।
यदि हमको प्रथम काउंसेलिगं में ही चान्स मिलता तो शायद हम भी संविदा शिक्षक होते पर द्वितीय काउंसेलिग में जब अन्य पिछडा़ वर्ग व जनरल अभ्यर्थीयों के पद नही बचे तब हमकों प्रक्रिया में शामिल किया गया। जिससे हम अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
रमेश कुमार सोनी
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