भोपाल। चुनावी साल में बिजली के दाम घटाने संबंधी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की योजना से केंद्र सरकार भी सहमत दिख रही है।
हालांकि केंद्रीय विद्युत राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मामले में दोनों मुख्यमंत्रियों को नसीहत भी दी है। सिंधिया ने कहा कि राज्य सरकारें चाहें तो बिजली टैरिफ कम कर सकती हैं, लेकिन इससे बिजली वितरण कंपनी को घाटा नहीं होना चाहिए। इस सब्सिडी को राज्य सरकार को वहन करना चाहिए।
दिल्ली में केजरीवाल कुछ शर्तों के साथ बिजली टैरिफ कम करने का ऐलान कर चुके हैं, जबकि महाराष्ट्र में भी चव्हाण बिजली के दाम कम करने का ऐलान करने की तैयारी में हैं। हालांकि सालाना 20 हजार करोड़ के घाटे से जूझ रहा बिजली क्षेत्र अपने दम पर टैरिफ घटाने की स्थिति में नहीं है।
विस्तारित विद्युत विकास व सुधार कार्यक्रम के तहत हर साल करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद बिजली क्षेत्र की ट्रांसमिशन व वितरण (टी एंड डी) हानि पिछले एक दशक में 50 से घटकर 35 फीसदी पर ही पहुंच पाई है, केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य इसे घटाकर 15 फीसदी तक ले आएं। चुनावी साल में टैरिफ कम करने की होड़ से बिजली क्षेत्र का घाटा और बढ़ जाने का खतरा मंडराने लगा है क्योंकि बढ़ती महंगाई के कारण बिजली उत्पादन की लागत भी बढ़ चुकी है।
अब देखना यह है कि इस मामले में मध्यप्रदेश की लोकप्रिय शिवराज सरकार जनता के हित में कितनी सब्सिडी जारी करने को तैयार होती है।