अपना मंदिर बचाने भगवान महावीर ने भेजा प्रशासन को नोटिस

shailendra gupta
खंडवा। हिंदी फिल्म ओ माय गॉड में जहां एक व्यक्ति अपनी बरबादी के लिए भगवान को कटघरे में खड़ा करता है, ठीक इसके उलट भगवान के अस्तित्व से संबंधित स्थानों की दुर्दशा के लिए एक महिला ने प्रशासन को कठघरे में लाने का निर्णय लिया है।

भगवान की ओर से पायल पति विकास जैन ने वाद मित्र बनकर वकील के माध्यम से नगर निगम आयुक्त, कलेक्टर और मुख्य सचिव मप्र शासन के खिलाफ एक नोटिस जारी कराया है।

शनिवार को अधिवक्ता विकास जैन ने सूचना पत्र के तहत धारा 80 व्यक्तिगत प्रकरण संहिता 1905 की सहपठित धारा 401 के तहत नोटिस दिए है। जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर की ओर से जारी नोटिस में घंटाघर स्थित जय स्तंभ और उद्यान व अन्य स्थानों की दुर्दशा के लिए नगर निगम को जिम्मेदार ठहराया है। नगर निगम और प्रशासन को दो माह में नोटिस का जवाब देना होग या नोटिस के अनुसार कार्य कराना होगा, अन्यथा भगवान की ओर से अदालत में वाद पेश किया जाएगा।

यह लिखा नोटिस में
- घंटाघर स्थित भगवान महावीर के स्मारक जय स्तंभ और महावीर उद्यान के संरक्षण, सौंदर्यीकरण एवं संधारण की जिम्मेदारी नगर निगम की हैं।
- उक्त स्मारक और उद्यान की दुर्दशा से भगवान महावीर स्वामी दु:खी व परेशान है। इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
- उद्यान के दोनों ओर बने सुविधाघर को बंद किया जाए।
- उद्यान के चारों ओर लगे विज्ञापन बंद करा कर मेरे पक्षकार के सिद्धांतों और नारों को लिखा जाए।
- उद्यान में जो सीसीटीवी कैमरे का टावर है उसे हटाकर वृक्ष लगाए जाए।
- उद्यान में बने अन्य धर्म के आले को बंद कर बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो।
- नगर निगम में पूर्व में मेरे पक्षकार के नाम पर संचालित वाचनालय का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया है।
- निगम प्रांगण में बने नए वाचनालय का नाम पं. दीनदयाल उपाध्याय वाचनालय रखा है उसे मेरे पक्षकार भगवान महावीर के नाम किया जाए।
- निगम ने मानसिंग मिल तीराहे से पड़ावा चौक तक मार्ग का नाम मेरे पक्षकार भगवान महावीर के नाम रखा था। जो अब शासकीय रिकॉर्ड में इंदौर रोड और पंधाना रोड के नाम से जाना जाता है। इससे मेरे पक्षकार के नाम का अस्तित्व समाप्त हो गया है।
- महावीर उद्यान और स्मारक संचालित करने के लिए मेरे पक्षकार के अनुयायी से निर्मित समिति बनाई जाए।
- मेरे पक्षकार के हितों एवं अधिकार को खंडवा शहर में पुन: स्थापित करने बाबत् निगम आयुक्त और कलेक्टर दो माह में पहल करें, नहीं तो मेरे पक्षकार को न्यायालय की शरण लेना होगी।

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