बदनामियाँ और नेकनामियाँ

shailendra gupta
राकेश दुबे@प्रतिदिन। कांग्रेस के सामने लोकसभा चुनाव 2014 एक बड़ी चुनौती है| पिछले विधान सभा चुनाव के नतीजों से कांग्रेस ने कितना सबक सीखा मालूम नहीं पर आम जनता के बीच उसका ग्राफ कांग्रेस की कार्यसमिति के निर्णय से कुछ ज्यादा उपर नहीं गया|

राहुल की आक्रमक शैली बनावटी लगी और सोनिया गाँधी की घोषणा मन में कुछ और जुबान पर कुछ से अधिक प्रभाव नहीं छोड़ सकी|

यू पी ए-२ सरकार की नेकनामियों से भारी उसकी बदनामियाँ हैं,अब सरकार और कांग्रेस के सामने कम समय है और चुनौती बड़ी है | हकीकत तो मनमोहनसिंह उसी दिन स्वीकार क्र चुके हैं जब उन्होंने तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के सम्भावना से इंकार कर दिया था | कार्यसमिति में सबसे जोरदार वकालत राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को लेकर हुई| सोनिया गाँधी ने अपने अंदाज़ में मामला साफ किया|

कांग्रेस में वैसे इस बात का कोई मतलब भी नहीं है| वहां सबकी पहली और अंतिम पसंद नेहरु –गाँधी परिवार ही होगी| मजबूरी का नाम मनमोहन सिंह होता है यह भी प्रमाणित हो गया है|

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