भोपाल। अतिथि शिक्षक जो की वर्ष भर अपनी मेहनत और ईमानदारी से सरकारी स्कूलों में अपना योगदान 100 प्रतिशत देकर मेंहनत से स्कूल के बच्चों कों शिक्षित कर रहे हैं और बच्चों की शिक्षा की गुंणवत्ता को बडा रहे हैं।
परन्तु फिर भी इन्हें एक सत्र पुरा होते ही अगले सत्र में नये अतिथि शिक्षक के लिये फिर से नये रुप से आवेदन मंगाये जाते हैं जिससे की पहले वाला अतिथि शिक्षक बाहर हो जाता है और उसकी सेवा समाप्त हो जाती है। कुछ अतिथि शिक्षकों कों 5 वर्ष से 6 वर्ष तक अतिथि शिक्षक में हो गये परन्तु फिर भी इनका वेतन 5 साल पहले के जैसा ही है।
माननीय मुख्यमंत्री जी के राज में संविदा शाला शिक्षक भर्ती परीक्षा में रिश्वत लेकर फर्जी तरीके से हजारों नियुक्तियां दे दी गई परन्तु जो अतिथि शिक्षक बीना स्वार्थ के अपना पूर्णं योगदान दे रहे हैं इन अतिथि शिक्षकों ने उनका क्या बिगाडा हे।
माननीय मुख्यमंत्री जी ने जिला रायसेन में अतिथि शिक्षकों को स्थाई संविदा शाला शिक्षक का दर्जा देने की घोषणा कर अतिथि शिक्षकों से वोट तो ले लिया बाद में उनको भुल गये। क्या मुख्यमंत्री जी आपमें दया नाम की कोई चीज नहीं हैं।
रमेश कुमार सोनी
ललीत प्रजापत
नितिन मण्डलौई