भोपाल। संवेदनशील समाज के लिए यह गरीबी की वो दर्दभरी दास्तां हैं जिसे आरोपी मध्यप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि दलीलों के साथ खारिज करेंगे। गरीबी से त्रस्त एक किसान की पत्नि उसे छोड़कर चली गई और उसने अपने तीन बच्चों को त्याग दिया।
जरा सोचिए, गरीबी की मार इस किसान पर किस हद तक पड़ी की पूरा का पूरा परिवार ही उजड़ गया। उसके पास अपनी बीवी और बच्चों को खिलाने के लिए दो वक्त का भोजन तक नहीं है। सरकार की तमाम योजनाओं का खुलासा कर रहा है यह प्रकरण।
मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर संभाग के श्योपुर जिले का है। यहां रहने वाला एक किसान दो रेाज पूर्व अपने 8 माह के बेटे और 7 साल की बेटी को राजस्थान के कोटा शहर के एक मंदिर में लावारिस छोड़कर भाग गया। जागरुक नागरिकों ने इन लावारिस बच्चों को बाल कल्याण समिति तक पहुंचाया। पूछताछ में समिति के पदाधिकारियों ने पिता का नाम पता पूछा और उसे बुलावा भेजा।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पिछले रोज यह किसान अपने 8 साल के बेटे को लेकर कोटा राजस्थान की बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत हुआ और उसने बताया कि उसके पास खाने को अन्न तक नहीं है, इसी कलह के चलते उसकी बीवी घर छोड़कर चली गई है और अब वो बच्चों का पालन पोषण नहीं कर सकता। उसने अपना तीसरा बेटा भी बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कर दिया।
समिति के पदाधिकारियों ने उसे खूब समझाया परंतु वह नहीं माना, अंतत: तीनों बच्चों के जीवन को बचाने के लिए समिति ने उन्हें अपनी निगरानी में ले लिया। समिति की सदस्य शाहीना परवीन ने बताया कि रविवार को मिले दोनों बच्चों को करणी नगर आश्रम में रखा गया है, जबकि तीसरे को मधुस्मृति बालगृह में भेजा गया है।
यह मामला सरकार की तमाम संवदेनशील योजनाओं की पोल खोल रहा है। मध्यप्रदेश के किसानों के पास अब अपने बच्चों तक को खिलाने के लिए भोजन नहीं बचा है। हो सकता है कि ऐसे किसानों की संख्या ज्यादा ना हो परंतु यदि एक भी किसान ऐसा है जिसकी हालत इतनी ज्यादा दयनीय हो गई है और यदि वो अपने बच्चों के पालन पोषण की गुहार लेकर मध्यप्रदेश सरकार के सामने प्रस्तुत नहीं हो रहा है तो इसके कई अर्थ निकलते हैं। क्या शिवराज सिंह की यह स्थापित सरकार इस योग्य भी नहीं रह गई कि एक गरीब इस पर भरोसा कर मदद की मांग करे। वो मदद के लिए दूसरे राज्यों की शरण में जा रहा है।