भोपाल। शिवराज सरकार में मंत्री बनने का सपना संजोए करैरा विधानसभा से चुनाव लड़ने वाले पराजित प्रत्याशी ओमप्रकाश खटीक अब वापस संगठन का काम देखने लौट आए हैं। बेमन से ही सही लेकिन अब वो मिशन 29 के लिए काम करेंगे।
सनद रहे कि अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए खटीक ने खासी लॉबिंग की थी परंतु इसके बाद जैसे ही विधानसभा चुनाव आए तो उन्हें अपनी सीनियर्टी याद आने लगी। लालबत्ती सपनों में चमकने लगी और सुबह होते ही वो चुनाव लड़ने की जिद कर बैठे।
शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा सीट पर उनका अपना बेटा चुनाव की तैयारियां कर रहा था, उसकी जीतने की संभावनाएं भी काफी थीं और यदि उसे टिकिट मिलता तो वो बगावत भी दिखाई नहीं देती जो इस बार करैरा में भाजपा को देखने को मिली परंतु ओमप्रकाश खटीक खुली आखों से मंत्रीपद का सपना देख रहे थे।
उन्होंने अपने ही बेटे को इस रेस से बाहर करवा दिया और खुद शामिल हो गए। आरोप तो यह भी है कि करैरा विधानसभा से भाजपा का टिकिट हासिल करने के लिए उन्होंने एक करोड़ों के प्रोजेक्ट में नरेन्द्र तोमर को पार्टनरशिपिंग का वादा भी किया था। यह तो सभी जानते हैं कि ओमप्रकाश खटीक को करैरा से टिकिट नरेन्द्र सिंह तोमर की विशेष अनुशंसा पर ही प्राप्त हुआ।
खैर जो भी हो, ओमप्रकाश खटीक ने टिकिट तो हासिल कर लिया परंतु जीत नहीं पाए। जीत के लिए उन्होंने खूब मशक्कत की। लोग तो यहां तक बताते हैं कि रात के वक्त खुद मोटरसाइकल लेकर डेरों पर जाकर लोगों को सेट किया करते थे। बावजूद इसके वो हार गए। पूरी की पूरी सीनियर्टी धरी की धरी रह गई।
इस कदर शोक में गए कि लम्बे समय तक उबर ही नहीं पाए। इधर शिवराज सरकार 100 दिन की कार्ययोजना बनाकर काम करने लगी। संगठन ने मिशन 272 पर काम शुरू कर दिया परंतु खटीक की बेहोशी टूटी ही नहीं।
लम्बे समय बाद वो वापस संगठन का काम देखने के लिए लौट आए हैं। 21 जनवरी को उन्होने एक मीटिंग आयोजित की है जिसमें सभी जिलाध्यक्षों को आमंत्रित किया है। चुनाव हार कर लौटे ओमप्रकाश खटीक अब मोर्चा के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को सिखाएंगे कि वो अपने क्षेत्र से मोदी को कैसे जिताए।