भोपाल। बलात्कारों के बाद अब घरेलू हिंसा के मामलों में भी मध्यप्रदेश भारत का नंबर 1 राज्य बन गया है। 'बेटी बचाओ' अभियान की शुरूआत करने वाले इस प्रदेश में बेटियों, पत्नियों और माताओं की दुर्गती के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
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दहेज उत्पीड़न के मामलों की 2012 की सूची में आंध्र प्रदेश शीर्ष पर है। वहां उस साल 2511 मामले दर्ज हुए जबकि दूसरे स्थान पर ओडिशा है जहां दहेज निरोधी अधिनियम के तहत 1487 मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, दहेज मामलों की बड़ी संख्या वाले राज्यों में कर्नाटक (1328), बिहार (1353) और झारखंड (1066) भी शामिल हैं।
जबकि घरेलू हिंसा की सूची में मध्य प्रदेश शीर्ष पर है। इस प्रदेश में 2012 के दौरान 9,536 मामले दर्ज हुए हैं। इसके बाद दूसरे स्थान पर तमिलनाडु में घरेलू हिंसा अधिनियिम 2005 के तहत 3,838 और आंध्र प्रदेश में 2150 मामले दर्ज हुए हैं।
लोकसभा में दिए अपने जवाब में शुक्रवार को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा को छोड़कर ज्यादातर राज्यों में दहेज और घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि देखी गई।
इन राज्यों में दहेज निरोधी अधिनियम के तहत कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। इसी तरह से उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी और चंडीगढ़ में घरेलू हिंसा का एक भी मामला दर्ज नहीं है। 2012 में दहेज निरोधी अधिनियम के तहत कुल 9,038 और घरेलू हिंसा अधिनियिम के तहत 16,309 मुकदमे पंजीकृत हुए।