खजुराहो। पश्चिम मंदिर समूह परिसर में गुरुवार रात 40वें नृत्य महोत्सव का शुभारंभ पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री सुरेंद्र पटवा ने किया। इस बार यहां ओडिसी कला एवं संस्कृति की प्रदर्शनी लगाई गई है। पदमश्री गीता चंद्रन, दक्षिणा वैद्यनाथन और संचिता बनर्जी ने नृत्य प्रस्तुत किए। गीता चंद्रन की भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुति भगवान शिव पर आधारित थी।
इसमें शिव के अनेक प्रसंगों को नृत्य के माध्यम से सुंदर तरीके से वर्णित किया गया था। उन्होंने अपनी दूसरी प्रस्तुति भगवान विष्णु को समर्पित करते हुए की। दक्षिणा वैद्यनाथन ने ओडिसी शैली में भरतनाट्यम नृत्य संचिता बनर्जी के साथ प्रस्तुत किया। अंत में अरुणा मोहंती के समूह ने ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किया।
खजुराहो डांस फेस्टिवल के बारे में जितना भी कहा जाए उतना कम है। यह फेस्टिवल अपने आप में ही कई मनमोहक रंगों, शानदार परम्पराओं, समृद्ध संस्कृतियों और देश की विभिन्न नृत्य शैलियों को समेटे हुए है। मध्य प्रदेश कला परिषद् द्वारा आयोजित एक सप्ताह तक चलने वाले इस फेस्टिवल में हर दिन आपकी आंखों को एक अलग और अनोखा नज़ारा देखने को मिलेगा।
खजुराहो के पत्थर पर तराशी गयी हर मूर्ति अपने अन्दर एक कविता, एक कहानी छुपाये हुए है और डांस फेस्टिवल के दौरान जब खजुराहो के चित्रगुप्त और विश्वनाथ मंदिरों की ओपन ऑडिटोरियम में कलाकार नृत्य करना शुरू करती हैं तो घुंघरुओं की झंकार से मानो ये मूर्तियां भी जीवंत हो कर नाचना शुरू कर देती हैं।
7 दिन तक चलने वाले इस आयोजन में आपको कत्थक, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, मणिपुरी, ओडिसी और कथकली जैसे क्लासिकल डांसेज को देश के महान नृत्यांगनाएं और कलाकार अद्भुत मन मोह लेने वाले अंदाज़ में प्रस्तुत करेंगे। यहां तक की दुनिया भर से आये इंटरनेशनल डांसर्स भी यहां पर जब अपने नृत्य का प्रदर्शन करते हैं तो समां और भी जादुई हो जाता है।
खजुराहो के मंदिरों के बारीक नक्काशियों और रात की रंगीन रोशनी के बीच तारों से भरे आसमान के नीचे जब आप खूबसूरत और प्रतिभावान कलाकारों को नृत्य करते देखेंगे तो आप भी सम्मोहित हो जायेंगे और खुद को स्वर्ग में अप्सराओं के नृत्य का आनंद लेता हुआ पायेंगे।