दैनिक भास्कर समूह पर बेरोजगारों से ठगी का आरोप, एफआईआर के आदेश

Pradeep Mishra‎ : दैनिक भास्कर ग्रुप द्वारा संचालित एनजीओ एनआईसीटी NICT और दैनिक भास्कर के संचालकों ने केन्द्र सरकार की योजना ई-गर्वनेंस के तहत इन्दौर-उज्जैन संभाग के 2158 ग्रामीण शिक्षित बेरोजगारों के साथ करोड़ों रुपये की ठगी की है.

विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण में अपराध धारा 467, 468, 471, 420, 109, 120 बी सहपठित धारा 34 भा.द.वि. के अंतर्गत एवं धारा 13 (1) (डी) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दैनिक भास्कर ग्रुप व राज्य शासन के दो वरिष्ठ IAS व एक IFS और नीचे दिए गए अन्य आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर केन्द्र व राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति लाने के लिए आदेश...

1. रमेशचन्द्र अग्रवाल पिता द्वारिकाप्रसाद अग्रवाल
पता 4 /54, प्रेस काम्पलेक्स, ए.बी. रोड, इन्दौर

2. डा. भरत अग्रवाल पिता मोहनलाल अग्रवाल (अध्यक्ष, एन.आई.सी.टी.)
पता: दैनिक भास्कर, 6 द्वारिका सदन, प्रेस काम्पलेक्स,
एम.पी. नगर झोन -1, भोपाल, म.प्र.

3. रवि सांवला पिता हरिराम सांवला (कोषाध्यक्ष, एन.आई.सी.टी.)
पता: दैनिक भास्कर, 6 द्वारिका सदन, प्रेस काम्पलेक्स,
एम.पी. नगर झोन -1, भोपाल, म.प्र.

4. हिमांशु झंवर पिता एम.एल.झंवर (सचिव, एन.आई.सी.टी.)
पता: दैनिक भास्कर, 6 द्वारिका सदन, प्रेस काम्पलेक्स,
एम.पी. नगर झोन -1, भोपाल, म.प्र.

5. पी.जी. मिश्रा पिता गोपालकृष्ण मिश्रा (कार्यकारिणी सदस्य, एन.आई.सी.टी.)
पता: दैनिक भास्कर, 6 द्वारिका सदन, प्रेस काम्पलेक्स,
एम.पी. नगर झोन -1, भोपाल, म.प्र.

6. विवेक जैन
पता 4 /54, प्रेस काम्पलेक्स, ए.बी. रोड, इन्दौर

7. राइटर्स एंड पब्लिशर्स लिमिटेड
पता 4 /54, प्रेस काम्पलेक्स, ए.बी. रोड, इन्दौर

8. मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल

9. नेटवर्क फार इन्फरमेशन एंड कम्प्यूटर टेक्नोलाजी
पता: 403, शेखर पैलेस, विजय नगर, स्कीम नं. 54, इन्दौर (म.प्र.)

10. श्री अनुराग श्रीवास्तव (आई.एफ.एस.) पूर्व प्रबंध निदेशक
मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड

11. श्री अनुराग जैन (आई.ए.एस.) पूर्व सचिव
सूचना एवं पौद्योगिकी विभाग म.प्र. शासन

12. श्री हरिरंजन राव (आई.ए.एस.)
वर्तमान सचिव सूचना एवं पौद्योगिकी विभाग म.प्र. शासन
एवं प्रबंध निदेशक मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल

13. लक्ष्मीकांत तिवारी, जनरल मैनेजर
मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल

14. श्री पी. एन. ध्यानी, वरिष्ठ जनरल मैनेजर
मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल

15. श्री के. आर. नारायणा, वरिष्ठ जनरल मैनेजर
मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल

16. मुकेश हजेला पिता दिनेश अवतार हजेला (उपाध्यक्ष, एन.आई.सी.टी.)
पता: 450-451, सनसिटी, महालक्ष्मी नगर, इन्दौर

17. सोनिया पति मुकेश हजेला (सदस्य, एन.आई.सी.टी.)
पता: 450-451, सनसिटी, महालक्ष्मी नगर, इन्दौर

18. जितेन्द्र चैधरी पिता बाबुलाल चैधरी (संयुक्त सचिव, एन.आई.सी.टी.)
पता: 418-ए, सनसिटी, महालक्ष्मी नगर, इन्दौर

19. माया पति जितेन्द्र चैधरी (सदस्य, एन.आई.सी.टी.)
पता: 418-ए, सनसिटी, महालक्ष्मी नगर, इन्दौर

20. महेन्द्र गुप्ता पिता मनोहरलाल गुप्ता (सदस्य, एन.आई.सी.टी.)

21. अरविंद चैधरी पिता बाबुलाल चैधरी (सदस्य, एन.आई.सी.टी.)

केन्द्र सरकार की योजना क्या थी

केन्द्र सरकार की यूनियन कैबिनेट के द्वारा राष्ट्रीय ई-गर्वनेंस प्लान के तहत मई 2006 में भारत के संपूर्ण गांव के लिये एक महत्वपूर्ण योजना जिसे जी टू सी (गवर्नमेंट टू सिटीजन) बनायी गयी। जिसके तहत प्रत्येक 6 गांव के लिये कम्प्यूटर और इंटरनेट सुविधा आधारित एक काॅमन सर्विस सेंटर बनाया जाना था। जिसके माध्यम से गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं एवं सरकारी दस्तावेजों का लाभ गांव में ही उपलब्ध करवाया जा सके। तथा गांव के षिक्षित बेरोजगार युवकों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध करवाया जा सके। इन सेंटरों के माध्यम से गांव वालों को खसरा बी-1, बी-2 की नकल, व्हीकल रजिस्ट्रेषन, राषन कार्ड, पेंषन स्कीम, रेलवे टिकट, भू-अभिलेख, सरकारी रोजगार के बारे में जानकारी, बैंक से लोन आदि जैसी अत्यंत महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज व सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी मिलना थी। इन सेंटरों को स्थापित करने में लगने वाली व्यय राषि के लिये केन्द्र सरकार के द्वारा 5472 करोड़ रूपये का फंड आवंटित किया गया था। इस परियोजना की समस्त जानकारी तीन वाॅल्यूम में तथा गाइडलाइन के साथ प्रत्येक राज्य सरकार को उक्त परियोजना क्रियान्वित करने के लिए स्वीकृत फंड के साथ प्रदान किया गया था।

मध्यप्रदेश में इस परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए केन्द्र सरकार के द्वारा 201.98 करोड़ रूपये का फंड आवंटित किया गया था। 28/05/2007 को मध्यप्रदेष राज्य ने इस परियोजना में अपनी ओर से 58 करोड़ रूपये का फंड आवंटित कर कुल 259.98 करोड़ रूपये के साथ काॅमन सर्विस सेन्टर स्थापित करने की जिम्मेदारी सरकार ने अपने निगम मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्राॅनिक्स डेवलपमेंट कार्पोंरेषन लिमिटेड को गाइडलाइन व प्रोजेक्ट रिपोर्ट के साथ दी गयी थी। जिस पर एम.पी.एस.ई.डी.सी. के सेवकों की जिम्मेदारी व लोक कर्तव्य बनता था कि वे इस परियोजना को पूर्ण जिम्मेदारी के साथ पूर्ण करें।

वरिष्ठ आई.ए.एस., प्रबंध निदेषक व मध्यप्रदेष शासन के लोकसेवकों के इस योजना के अपराधिक कृत्य

1. इन्दौर और उज्जैन संभाग के 2158 काॅमन सर्विस सेंटर स्थापित करने के लिए स्वीकृत निविदा प्रस्तुत एवं स्वीकृत होने वाली दैनिक भास्कर ग्रुप की एन.आई.सी.टी. संस्थान की आर्थिक स्थिति 15 लाख रूपये घाटे की थी। इस प्रकार ढाई करोड़ आर्थिक कार्यषील पूंजी की शर्त को अनदेखा कर निविदा को स्वीकार किया गया।

2. 15 लाख रुपये घाटे में चलने वाले एन.आई.सी.टी. संस्थान के द्वारा शासन से आर्थिक सहायता (1133 रू. प्रतिसेंटर प्रतिमाह) को ठुकराकर उल्टा शासन को प्रतिसेंटर इन्दौर संभाग के लिए 5 रू. व उज्जैन संभाग के लिए 3 रू. देने की शर्त रखी। इसकी योग्य जांच किये बिना निविदा को स्वीकृत किया गया। निविदा प्रस्तुत करने के लिये एन.आई.सी.टी. संस्थान ने दैनिक भास्कर ग्रुप की कंपनी राईटर्स एंड पब्लिषर्स लिमिटेड के साथ संयुक्त रूप से प्रस्तुत की थी। जबकि उस वक्त राइटर्स एंड पब्लिषर्स लि. का विलय डी.बी.काॅर्प में हो गया था। इस तरह लोकसेवकों ने राइटर्स एंड पब्लिषर्स लि. के अस्तित्व की जांच किये बिना ही निविदा को स्वीकृत कर दिया।

3. राइटर्स एंड पब्लिषर्स लि. का अस्तित्व नहीं होने के कारण इस कम्पनी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के द्वारा संयुक्त रूप से निविदा प्रस्तुत करने के लिये कोई भी रिसोलवेषन जारी नहीं की गई है, कम्पनी के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के रिसोलवेषन के बिना प्रस्तुत निविदा की उचित एवं योग्य जांच करना इस प्रकरण के लोकसेवकों का पदीय कर्तव्य था।

4. माननीय गुजरात उच्च न्यायालय के द्वारा कम्पनी पिटीषन क्रमांक 127/06 एवं 268/06 में पारित आदेषानुसार राइटर्स एंड पब्लिषर्स लि. कम्पनी का विलय डी.बी.कार्प लि. कम्पपनी का पब्लिक इष्यु/षेयर्स जनता के बीच आने के पष्चात् एन.आई.सी.टी. संस्थान के द्वारा राइटर्स एंड पब्लिषर्स लि. जिसका अस्तित्व नहीं रहा उसके नाम से दस्तावेजों की कूट रचनाकर उन्हें अपने पास रख कर उन्हें असली दस्तावेजों के रूप में निविदा प्राप्त करने के लिये आपराधिक षड़यंत्र के तहत प्रस्तुत किया गया, जिस पर निविदा के दस्तावेजों के उचित एवं योग्य जांच करना लोक सेवकों का पदेन कर्तव्य था जो ना कर शासन के द्वारा जनता के सर्वांगीण ग्रामीण विकास के लिये बनाई गई योजना की निविदा को स्वीकार करना लोक सेवक की लोक कर्तव्य नहीं होने से अपराधिक कृत्य है।

5. एन.आई.सी.टी. संस्थान जो 15 लाख रूपये घाटे में चल रही थी उनको निविदा प्रस्तुत करने की पात्रता नहीं थी। उक्त संस्थान के अध्यक्ष एवं कार्यकारिणी का प्रारंभ से ही उद्देष्य ग्रामीण षिक्षित बेरोजगार युवकों के साथ ठगी करने का था, इसी आपराधिक आषय की पूर्ति के लिए कूटरचित दस्तावेजों का निर्माण कर असली दस्तावेजों के रूप में प्रस्तुत कर इस प्रकनरण की लोक सेवकों के भ्रष्ट आचरण के द्वारा निविदा को स्वीकार करवाया गया जिसके पष्चात् राज्यपाल म. प्र. शासन द्वारा प्रमुख सचिव आई.टी. विभाग श्री अनुराग जैन प्रथम पक्ष तथा एम.पी.एस.ई.डी.सी. द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर श्री अनुराग श्रीवास्तव द्वितीय पक्ष एवं एन.आई.सी.टी. संस्थान द्वारा उपाध्यक्ष मुकेष हजेला एवं (जिस कम्पनी का अस्तित्व ही नहीं उस कम्पनी) राइटर्स एंड पब्लिषर्स लि. कम्पनी की ओर से कम्पनी डायरेक्टर्स की रिसोलवेषन के बिना) असिस्टेंट मैनेजर विवेक जैन तृतीय पक्ष के मध्य कामन सर्विस सेंटर की स्थापना एवं सुचारू रूप से 5 वर्ष तक संचालन बाबद मास्टर सर्विस एग्रीमेंट का निष्पादन किया गया, जिसका अक्षरषः पालन करना तीनों पक्षों के लिये आज्ञापक रूप से आवष्यक था, इस प्रकार इस अनुबंध के विरूद्ध जाकर किय गया कृत्य लोकसवेकों का आपराधिक कृत्य।

6. यह कि, मास्टर सर्विस एग्रीमेंट के चरण 3.1 ए के अनुसार एन.आई.सी.टी. संस्थान एवं राइटर्स एंड पब्लिषर्स लि. अपने स्वयं के व्यय से समस्त स्वीकृत 2158 कामन सर्विस सेन्टर को स्थापित करना था

7. यह कि एन.आई.सी.टी. संस्थान के द्वारा केन्द्र एवं राज्य सरकार की संयुक्त परियोजना के नाम पर 2158 कामन सर्विस सेन्टर स्थापित करने हेतु मास्टर सर्विस एग्रीमेंट के विरूद्ध जाकर समाचार पत्रों में निरंतर विज्ञापन देकर प्रति व्यक्ति से 3,94,500 रू. का डी.डी. एन.आई.सी.टी. संस्थान के नाम पर प्राप्त किया गया। इस प्रकार एन.आई.सी.टी. संस्थान के द्वारा 394500 × 2158 = 85,13,31000 (पिच्यासी करोड तेरह लाख इकतीस हजार) रू. प्राप्त किये हैं। इसके अलावा 131500 रू. नगद लिये गये जो कि 131500 × 2158 त्र 28,37,77,000 (अठाईस करोड सैतालीस लाख सितोतर हजार) रू. नगद प्राप्त किये। इसी प्रकार आवेदन पत्र फार्म के विक्रय 300 रू. में किया गया। इस प्रकार 300 × 2158 = 647000 रू. (छः लाख सैतालीस हजार रू.) शासकीय योजना के नाम पर ठगी कर एकत्रित किया गया। यह राषि कुछ कम या अधिक भी हो सकती है। लोकसेवकों के द्वारा शासन की योजना के नाम पर अनुबंध की शर्तों के विरूद्ध इतनी अधिक राषि ग्रामीण षिक्षित बेरोजगार युवकों से ठगी कर देने का कृत्य लोकसेवकों का आपराधिक कृत्य था।

नोट: सूचना के अधिकार के अंतर्गत दी गयी जानकारी के अनुसार एन.आई.सी.टी. संस्थान एवं राईटर्स एंड पब्लिषर्स लिमिटेड को कोई भी रूपये प्राप्त करने का अधिकार नहीं था। प्राप्त करने के अधिकार की जानकारी माननीय न्यायालय के रिकार्ड पर उपलब्ध है।

आपराधिक कृत्यों के असल दस्तावेज, कोर्ट के आदेषों की कापी, अभियोजन स्वीकृति के लिये डी.ओ.पी.टी. दिल्ली, राष्ट्रपति, राज्यपाल व विधि व विधायी मंत्रालय म.प्र. शासन को दिये गये आवेदन की प्रतियां फरियादी प्रदीप मिश्रा व जितेन्द्र जायसवाल से प्राप्त की जा सकती है। प्रदीप मिश्रा से संपर्क उनके मोबाइल नंबर 9303223035 के जरिए किया जा सकता है.

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