भोपाल। अध्यापकों को 2007 के स्थान पर 2001 से अध्यापक मानते हुये लाभ दिये जाने का मामला शासन के संज्ञान में आते ही लोक शिक्षण सचांलनालय म.प्र. भोपाल ने इस प्रकार के भुगतान पर तत्काल रोक लगा दी है और 15 दिन के अंदर वसूली करने के आर्डर जारी कर दिये हैं।
राज्य अध्यापक संघ म.प्र. के जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर ने 15दिन पूर्व समाचार प्रकाशित कर अध्यापकों को चेता दिया था कि इस प्रकार का भुगतान जो कि कुछ जिलों में हो रहा है अवैधानिक हैं एवं इसमें वसूली होना तय है। राज्य अध्यापक संघ की पहल के चलते यद्यपि जिले में इस प्रकार का कोई भुगतान नहीं किया गया है।
बता दे कि उक्त प्रकरण पर आयुक्त लोक शिक्षण एस.के.पाॅल ने निर्देश जारी करते हुये कहा है कि डब्लू.पी. क्र.1656/2013 श्री करण सिंह परिहार एवं अन्य विरूद्ध म.प्र.शासन एवं समप्रकृति की अन्य याचिकाओं में पारित निर्णय के आधार पर कुछ जिलांे के द्वारा वर्ष 2001 से अध्यापक संवर्ग में नियमित नियुक्ति दिये जाने एवं वर्ष 2001 से अध्यापक संवर्ग में वेतन निर्धारण कर एरियर्स दिये जानेे के आदेश पारित किये गये हैं।
प्रथम दृष्ट्या यह समस्त प्रकरण गम्भीर वित्तीय अनियमितता के प्रतीत होते हैं एवं इससे शासन को अत्यधिक मात्रा में आर्थिक हानि होने की सम्भावना है। पत्र में कहा गया है कि अध्यापक संवर्ग का गठन शासन आदेश द्वारा 1 अप्रैल 2007 से किया गया है एवं अप्रैल 2007 के उपरांत ही अध्यापक संवर्ग में वेतन निर्धारण एवं वेतन भुगतान के निर्देश हैं। संचालनालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारी और सहायक आयुक्त से जिले में की गई इस प्रकार की गम्भीर अनियमितता की जानकारी निर्धारित प्रपत्र में चाही गई है साथ ही उस पर की गई कार्यवाही का प्रमाणपत्र भी चाहा है।
आयुक्त ने अपने पत्र में कहा है कि जिन जिलों में इस प्रकार के भुगतान की कार्यवाही की गई है उस कार्यवाही को तत्काल प्रभाव से रोका जाये एवं सम्बंधित अध्यापकों को सुनवाई का समुचित अवसर देते हुये अनियमित भुगतान की गई राशि को वसूल करने की कार्यवाही की जाए। जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर ने अध्यापकों के मामले में शासन की कार्यप्रणाली को दोष पूर्ण बताते हुये आरोप लगाया है कि वेतन निर्धारण के विषंगतिपूर्ण निर्देशों के चलते एवं मार्गदर्शन के अभाव में पूरे प्रदेश में अलग अलग जिले और विकासखण्डों में एक ही केटेगरी के अध्यापकों का वेतन निर्धारण अलग अलग तरीके से किया जा रहा है जिस पर तत्काल ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।