भोपाल। जाली कागजात के आधार पर नौकरी पाने वाले 15 फर्जी शिक्षकों और एक बाबू (क्लर्क) को तीन साल की जेल और 15-15 सौ रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई।
फर्जी तरीके से नौकरी पाने वाले इन 17 आरोपियों को यह सजा मंगलवार को न्यायाधीश एपीएस चौहान की अदालत में सुनाई गई। इस मामले में कुल 22 आरोपी हैं, जिनमें पांच आरोपी फरार हैं।
इन आरोपियों को सुनाई गई सजा
लक्ष्मीनारायण (बाबू) मोहर सिंह, महिपाल सिंह, धनपाल मवासी, रामसेवक, जगन्नाथ, राय सिंह, धर्मवीर सिंह, बृजेंद्र सिंह, प्रेमनारायण, बारेलाल, विनोद सक्सेना, छोगमल पाटीदार, महेश चंद्र माली, संतोष कुमार पांचोली, संजय राठौर एवं परिमल सिंह (सभी शिक्षक) आदि 17 आरोपियों के मामले में ही अंतिम आदेश दिए गए हैं।
ये आरोपी हैं फरार
वीरसिंह, विनोद सिंह, अजय मेहता, नरेश कुमार और सरदार सिंह।
अदालत ने कहा- अधिकतम दंड उचित
सजा के सवाल पर बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि आरोपियों का पहला अपराध है और उन पर परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी भी है, इसलिए उन्हें कम से कम सजा दी जाए। इस पर अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्तों ने जिन परिस्थितियों में अपराध किया है उसे देखते हुए उनके प्रति नरमी नहीं बरती जा सकती है।
यह है मामला
अभियोजन के अनुसार 1 मई 1995 को पुलिस थाना मिसरोद को सूचना मिली थी कि मिसरोद थाना क्षेत्र में चंदन सिंह द्वारा ग्राम बागली शासकीय प्राथमिक शाला में फर्जी आदेश एवं अन्य दस्तावेज देकर शिक्षक की नौकरी हासिल की है। पुलिस को यह भी सूचना मिली थी कि चंदन सिंह जाटखेड़ी के छोगमल पाटीदार के यहां रहता है, छोगमल पाटीदार ने ही जाली अंकसूची, स्थानांतरण आदेश बनाकर बागली स्कूल में प्रस्तुत करने दिए हैं। छोगमल के साथ उसके परिवार एवं तथा भोपाल के अन्य कई प्रभावशाली लोग व अधिकारी फर्जी नियुक्तियां तथा कागज बनाकर धोखाधड़ी कर रहे हैं। फर्जी दस्तावेज छोगमल के घर में बनाए जा रहे हैं। फर्जी कागजों से ही संजय राठौर ने रापड़िया व महेश शर्मा ने कटारा व वीरसिंह राजपूत ने रापड़िया शाला में नौकरी हासिल कर ली हैं। इस शिकायत के आधार पर मिसरोद थाना पुलिस ने 2 अप्रैल 95 को छापा मारा कार्रवाई के दौरान आरोपी छोगनमल पाटीदार के घर की अलमारी से कई लोगों के नाम की अंकसूची, प्रमाण पत्र, शिक्षक भर्ती आवेदन पत्र आदि सहित बड़ी तादाद में फर्जी दस्तावेज बरामद किए।