नवरात्रि में पाइए 9 समस्याओं से मुक्ति

shailendra gupta
नवरात्र मूल प्रकृति आदि शक्ति की उपासना का पर्व है, प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथियों, नौ नक्षत्रों, नवग्रहों, नवनिद्धियों, नौ शक्तियों की नवधा का पर्व है। जीवन से जुड़े नवरंग को निखारता है नवरात्र पर्व। नवरात्र पर्व में आदिशक्ति के नौ रूपों कि नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा को दर्शाता है। जीवन को अगर नौ हिस्सों में विभाजित किया जाए तो जीवन के नवरंग का निर्माण होता है। इन्हीं नवरंग को दर्शाता है नवरात्री का पर्व।

मां कि कोख से जन्म लेने के उपरांत पंचमहाभूतों के यथार्थ में सामने तक का सफर ही जीवनी के नवरंग है । बालपन से लेकर मरनोपरांत तक जीवन के नवरंग इस प्रकृति का ही हिस्सा हैं । ये अवस्थाएं हम सभी के जीवन में आती हैं तथा हर अवस्था से संबंध रखते हैं नवग्रह । इसी भांति नवरात्र कि नौ रातें जीवन के नौ पड़ाव हैं जिनका संबंध हर एक अलग-अलग ग्रह से है। आइए समझते हैं कालचक्र कि इस निश्चित नवधा को ।

नवरात्र के दिनों में नौ देवियों का जीवन में अलग अलग स्थान है:

1. शैलपुत्री: मानव मन पर अधिपत्य रखती पहली दुर्गा चंद्र स्वरूपा देवी शैलपुत्री यशाश्वत जीवन में ये स्वरुप हैं उस नवजात शिशु का जो अबोध है, निष्पाप है जिसका मन निर्मल है।

उपाय: मनोविकार से मुक्ति के लिए मां शैलपुत्री को सफ़ेद कनेर के फूल चढ़ाएं।

2. ब्रह्मचारिणी: तामसिक इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करती दूसरी दुर्गा मंगल स्वरूपा देवी ब्रह्मचारिणी यशाश्वत जीवन में ये स्वरुप हैं उस बच्चे का जो अब जो अब बड़ा हो रहा है, विद्यार्थी है और जिसका जीवन ही ज्ञान स्वरूप है ।

 उपाय: शक्ति प्राप्ति के लिए मां ब्रह्मचारिणी को सिंदूर का चोला चढ़ाएं।

3. चन्द्रघण्टा: कामोत्तेजना को वश में रखती तीसरी दुर्गा शुक्र स्वरूपा देवी चन्द्रघण्टा यशाश्वत जीवन में ये स्वरुप हैं उस नवयोवना का जिसमें प्रेम का भाव जागृत है तथा जो व्यसक कि श्रेणी में आ गया है।

 उपाय: प्रेम में सफलता के लिए मां चन्द्रघण्टा को चमेली का इत्र चढ़ाएं।

4. कूष्मांडा: जीवनी शक्ति का संचारण करती चौथी दुर्गा सूर्य स्वरूपा देवी कूष्मांडा यशाश्वत जीवन में ये स्वरुप उस विवाहित स्त्री और पुरुष का है जिसके गर्भ में नवजीवन पनप रहा है अर्थात जो गर्भावस्था में है।

उपाय: संतति सुख कि प्राप्ति के लिए मां कूष्माडा पर जायफल चढ़ाएं।

5. स्कंदमाता: पालन शक्ति का संचरण करती पांचवीं दुर्गा बुद्ध स्वरूपा देवी स्कंदमाता यशाश्वत जीवन में ये स्वरुप हैं उस महिला अथवा पुरुष का जो माता पिता बनकर अपने बच्चों का लालन पोषण करते हैं ।

उपाय: संतान की सफलता के लिए स्कंदमाता पर मेहंदी चढ़ाएं।

6. कात्यायनी: पारिवारिक जीवन का निर्वाहन करती षष्टम दुर्गा बृहस्पति रूपादेवी कात्यायनी यशाश्वत जीवन में ये स्वरुप हैं उस अधेड़ महिला अथवा पुरुष का जो परिवार में रहकर अपनी पीढ़ी का भविष्य संवार रहे हैं।

 उपाय: पारिवारिक सुख शांति के लिए मां कात्यायनी पर साबुत हल्दी कि गाठें चढ़ाएं।

7. कालरात्रि: वृद्धावस्था का अनुभव लिए सप्तम दुर्गा शनि स्वरूपा देवी कालरात्रि यशाश्वत जीवन में ये स्वरुप हैं उस वृद्ध महिला अथवा पुरुष का जो दोहते अथवा पौत्रों का सुख ले रहे हैं और काल (मृत्यु) से लड़ रहे हैं।

उपाय: मृत्यु भय से मुक्ति के लिए मां कालरात्रि पर काले चने का भोग लगाएं ।

8. महागौरी: मृतावस्था का चोला पहने अष्टम दुर्गा राहू स्वरूपा देवी महागौरी यशाश्वत जीवन में ये स्वरुप उस मरणासन्न प्राप्त उस वयोवृद्ध महिला अथवा पुरुष का जो कफ़न पहने हैं तथा अर्थी पर सवार हो मृत पड़ा है।

उपाय: सदगति कि प्राप्ति के लिए मां महागौरी पर सौंठ चढ़ाएं।

9. सिद्धिदात्री: सिद्धार्थ प्राप्त पंचमहाभूत में विलीन नवम दुर्गा केतु स्वरूपा सिद्धिदात्री यशाश्वत जीवन में ये स्वरुप हैं उस देह त्याग कर चुकी उस आत्मा का जिसने जीवन में सर्व सिद्धि प्राप्त करके स्वयं को परमेश्वर में विलीन कर लिया है ।

उपाय: मोक्ष कि प्राप्ति के लिए मां सिद्धिदात्री पर केले का भोग लगाएं।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: info@kamalnandlal.com

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