ग्वालियर। भारतीय वायुसेना के हरक्यूलिस हादसे में जहां एक ओर पुलिस नाव ना होने के कारण काई राहत नहीं दे सकी वहीं गांव का एक नौजवान अपनी जान की परवाह किए बिना चंबल नदी में कूद गया। वो वायुसेना के अफसरों को बचाने गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा। चंबल के घड़ियालों का शिकार हो गया।
शुक्रवार को ग्वालियर के नजदीक हुए हरक्यूलिस हादसे में जहां एक ओर वायुसेना के 5 जांबाज अफसरों की शहादत के देश-दुनिया में चर्चे हो रहे हैं, वहीं एक जांबाज ऐसा भी था, जो अफसरों को बचाने के लिए चंबल में कूदा तो था, लेकिन वापस नहीं आ सका। वह घड़ियालों का शिकार बन गया। उसकी लाश तक नहीं मिली।
पचनया (16) चंबल नदी के बार्डर पर बसे रघुनाथपुर गांव का रहने वाला था। हादसे की खबर मिलते ही वह अन्य गांव वालों के साथ चंबल नदी के तट पर उस जगह पहुंच गया, जहां विमान का मलबा बिखरा हुआ था। गांववालों ने जहां हादसे की जानकारी पुलिस को दी, वहीं पचनया ने वायुसेना अफसरों को बचाने के लिए बचाव दल का इंतजार नहीं किया और अन्य गांव वालों के साथ चंबल नदी में छलांग लगा दी लेकिन इस जल्दबाजी में वह यह भूल गया कि चंबल नदी एक-दो नहीं, 500 से 700 घड़ियाल और मगरमच्छों का घर है। नदी में कूदे बाकी गांव वाले तो सुरक्षित निकल आए, लेकिन पचनया का पता नहीं चल सका। पचनया घड़ियालों का शिकार बन गया था। नदी के तेज बहाव के चलते उसकी तलाश भी नहीं जा सकी।