
जीत के लिए नियम : यदि छठे भाव का उपनक्षत्र स्वामी ६,१०,११ में से किसी का कार्येष गृह है तो व्यक्ति जीत सकता है अन्यथा यदि वह गृह ४,५,१२ का कार्येष है तो वह हार जाता है. यदि वह दोनों प्रकार के भावों को सामान रूप से दर्शाता है तो महादशा अंतर और प्रत्यंतर स्वामी किन भाव के कार्येष हैं ये देखना चहिये
छठे भाव का उपनक्षत्र स्वामी गुरु है जो तृतीय भाव में स्थित है. ये शुक्र के उपनक्षत्र में है जो दशम भाव में है.
दशम का उपनक्षत्र स्वामी शनि सप्तम में है और सूर्य के उपनक्षत्र में है जो द्वादश भाव मैं है.
ग्यारहवें भाव का उपनक्षत्र स्वामी बुध स्वयं ही एकादश भाव में विराजमान है और शुक्र के उपनक्षत्र में है जो की दशम भाव में है.
इस समय चन्द्रमा पंचम भाव में है किन्तु बुध के उपनक्षत्र में है जो एकादश में स्थित है.
अतः स्पष्ट है की जीत इनकी ही होनी है.
निष्कर्ष : इनकी जीत सुनिश्चित है.
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