भोपाल। साहब, राजधानी सहित पूरे प्रदेश में कचरे और सीवेज के जहरीले पानी से सब्जियां उगाने, धोने और मछली पालन के लिए उपयोग किया जा रहा है।
लोग इनका सेवन कर रहे हैं यदि इसे रोकने शासन को जल्द निर्देश नहीं दिए गए तो लोग मरने लगेंगे। याचिकाकर्ता डॉ सुभाष सी पांडे ने मंगलवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष यह बात कही। इस पर जस्टिस दलीप सिंह और विषय विशेषज्ञ सदस्य पीएस राव की बैंच ने केंद्र व राज्य सरकार के अलावा सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, किसान एवं कृषि विकास विभाग, मत्स्य पालन विभाग, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग और मप्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड आदि विभागों को नोटिस जारी कर 2 मई तक मामले में जबाव पेश करने के आदेश दिए हैं।
चौंकाने वाली है जांच रिपोर्ट:
याचिकाकर्ता ने बताया कि भोपाल के लहारपुर सिंचाई डेम, भानपुर खंती स्थित पातरा नदी के पानी का परीक्षण कराया, जिसमें पानी में कैडमियम, लेड और आॅर्सेनिक आयरन,कॉपर, जिंक जैसे घातक तत्व पाए गए।
लहारपुर की रिपोर्ट:
पर्यावरण विद डॉ. सुभाष पांडेय के निर्देशन में डॉ. साधना मालेसिया सिंह द्वारा लहारपुर डेम के पानी पर हुए शोध यह खुलासा हुआ भोपाल के विभिन्न नालों का अनुपचारित पानी इस डेम में रोका गया है। यहां का पानी सड़ रहा है, जो पर्यावरणीय विषाक्तता की ओर संकेत करता है। सीवेज का यह पानी सिंचाई में इस्तेमाल हो रहा है। इससे बीमारियां फैलेंगी, बायोलॉजिकल आॅक्सीजन डिमांड का संतुलन बिगडेÞगा। सीवेज से उत्पन्न होने वाले रोगजनक जल के जरिए पैदा होने वाले मानव रोगों को फैलाएंगे। नालों में मौजूद खतरनाक तत्व: वॉशिंग पावडर, हेयर कंडीशनर, शैम्पू, फिनाइल, हॉबलेट क्लीनर, पेट, वार्निश रासायनिक रंग, कीटनाशक, आदि। इसके अलावा जिंक, कॉपर, निकिल, केडमियम, लेड, क्रोमियम तथा मरकरी आदि।