बैंकों तक पहुंचे ही नहीं शिवराज सिंह के आदेश: किसानों से ऋण वसूली शुरू

shailendra gupta
भोपाल। ओलापीड़ित किसानों की दुर्दशा देख आखों में आंसू भरे शिवराज सिंह दिनरात मध्यप्रदेश के गावों में खेत दर खेत घूमते रहे, लेकिन उन्होंने बैंकों को वो आदेश तो जारी किया ही नहीं, जिसकी घोषणा वो भाषणों में करते रहे थे। बैंकों ने किसानों से ऋण वसूली शुरू कर दी है।

ओलावृष्टि प्रभावित किसानों से ऋण वसूली के लिए जिला सहकारी बैंकों और प्राथमिक सहकारी समितियों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इधर, बैंकों का कहना है कि ऋण वसूली स्थगित करने के आदेश बैंकों तक नहीं पहुंचे है। वहीं राज्य शासन का कहना है कृषि आयुक्त के हस्ताक्षर से 28 फरवरी को इस संबंध में आदेश जारी हो चुके हैं।

हाल की ओलावृष्टि के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 27 लाख किसानों की तीन हजार करोड़ रुपए की ऋण वसूली स्थगित करने का ऐलान किया था। इस बीच जिला सहकारी बैंकों और उसकी प्राथमिक सहकारी समितियों ने प्रदेश के लाखों किसानों को वसूली के लिए नोटिस थमा दिए हैं। मालूम हो कि खरीफ सीजन की वसूली के लिए 31 मार्च और रबी सीजन की वसूली 30 जून तक की जाना होता है।

सूत्रों का कहना है कि बैंकों ने 31 मार्च तक ऋण वसूली के टारगेट पूरा करने के लिए ही यह नोटिस जारी किए हैं। जब किसान बैंकों के अधिकारियों को मुख्यमंत्री की घोषणा की ओर ध्यान दिलाते हैं तो उनका कहना होता है कि लिखित आदेश बैंक तक नहीं पहुंचे हैं। इधर, सहकारिता विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि अपर आयुक्त कृषि के हस्ताक्षर से 28 फरवरी को ऋण वसूली स्थगित के आदेश जारी हो चुके हैं। 10 से 15 मार्च तक जिला स्तर पर डीएनएलसी की बैठकें भी हो चुकी है और इसमें तय हो चुका है कि किन किसानों की ऋण वसूली स्थगित की जाना है।

किसानों ने दी चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी

प्रदेश भर में ओलावृष्टि प्रभावित किसानों ने राहत न मिलने और ऋण वसूली स्थगित न करने के विरोध में लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। भारतीय किसान संघ के पूर्व अध्यक्ष और अब मप्र किसान मजदूर प्रजा पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष शिव शर्मा कक्का जी इसके लिए प्रदेश भर यात्राएं निकाल रहे हैं।

उनका कहना है कि अब तक वे दो दर्जन जिलों में इस तरह की यात्राएं निकालकर किसानों को सरकार विरोधी नीतियां बताकर उन्हें अपने हक की लड़ाई के लिए तैयार कर रहे हैं। इस यात्राओं के दौरान किसानों को बताया जा रहा है कि पहले तो चुनाव का बहिष्कार करना है। दूसरा यदि स्थानीय कारणों से किसान वोटिंग करने बूथ तक पहुंच भी जाता है कि तो वह नोटा का बटन दबाएं। शर्मा का कहना है बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से रबी की फसलों के भारी नुकसान के लिए सभी राजनीतिक दलों पर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। उनका कहना है कि प्राकृतिक आपदा की वजह से प्रदेश में किसान की इस वर्ष सभी फसलें तबाह हो चुकी हैं।

पहले खरीफ की सोयाबीन, कपास, तुअर, मूंग और अब रबी सीजन की गेहूं, चना, मटर, तिवड़ा, सरसों, मसूर भी नष्ट हो चुकी हैं। इससे किसान दस साल पीछे चला गया है। शर्मा ने आरोप लगाया कि सत्तारुढ भाजपा एवं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस चुनाव की इस बेला में किसान हितैषी होने का ढोंग कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने ऋण वसूली स्थगित करने का ऐलान किया है लेकिन बैंक किसानों को नोटिस थमा रहे हैं। इससे सरकार की करनी और कथनी उजागर हो रही है।


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