योगेश सोनी/रहली। दमोह लोक सभा चुनाव में मतदान के करीब आते दिन प्रत्याषियों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो रहा है।
क्षेत्र के लोग वर्तमान सांसद को लेकर पहले ही नाराज है उपर से भाजपा द्वारा बाहरी प्रत्याषी को खडा करना तथा कांग्रेस से क्षेत्र में प्रभावहीन प्रत्यासी को टिकिट देने को लेकर असंतोष मुखर भले ही ना हो पा रहा हो पर धीमी गति से दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में चर्चा का बिषय अवष्य बन गया हैं।
जातिगत आधार पर दोनों दलों ने दिया टिकिट
विदित हो कि दोनों ही प्रमुख दलों द्वारा जातिगत आधार पर टिकिट दिया गया है वजह है यह क्षेत्र कुर्मी ओर लोधी बाहुल्य है और यही दोनों बोट बैक निर्णायक की भूमिका में है। यही वजह रही कि कांग्रेस ने कुर्मी वोट बैक को ध्यान में रखकर हटा निवासी महेंद्र प्रताप को टिकिट दिया तो भाजपा ने सारे उम्मीदवारों की आषाओं पर पानी फेरते हुये मुख्य मुकाबले के लिये लोधी बोट बैक पर कब्जा जमाने गोटेगांव निवासी पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल को टिकिट दिया है प्रहलाद पटेल लोधी जाति से आते है। दोनों ही प्रत्याषी जातिगत बोट को पकाने में जुटे है।
प्रत्याशी चयन को लेकर लोग असमंजस में
कांग्रेस प्रत्यासी महेंद्र प्रताप जहां लोकसभा क्षेत्र में लोगों से अपरिचित है वही प्रहलाद पटेल अनेक बार रहली का दौरा कर चुके है लोग उन्हे जानते है पर बाहरी प्रत्याषी है लोग असंजस में है कि चुनाव जीतने के बाद आम जनता को काम पढेगा तो प्रहलाद पटेल कहा मिलेंगे नरसिंहपुर में ,कटनी में या दिल्ली में। जनता का सोचना बाजिब है कयोंकि वर्तमान सांसद षिवराज चुनाव जीतने के बाद पांच साल में कभी लौटकर नही आये और ना ही कभी सांसद निधि से एक फुट भी सडक बनवाई है। इससे पहले भी जब सागर लोकसभा क्षेत्र में रहली विधानसभा आती थी तब भी तत्कालीन सांसद बीरेंद्र खटीक हमेषा रहली क्षेत्र को नजर अंदाज करते रहै है। वही कांग्रेस प्रत्याषी की बात की जाये तो क्षेत्र में कही भी ना ही जनाधार है ओर कोई प्रभाव भी नही लोगों ने पहली बार नाम सुना हे एैसे में आम जनता का विष्वास जीत पाना मुष्किल है । यही वजह है कि लोग प्रत्याषीयों को लेकर असमंजस में है।
मोदी की लहर और मंत्री का असर
लोकसभा चुनाव में इस बार लोगों को स्थानीय जनप्रतिनिधि को टिकिट मिलने की उम्मीद अधिक थी ओर कार्यकर्ता सुनिष्चित कर चुके थे कि पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक भार्गव को जरुर टिकिट मिलेगा लेकिन पार्टी के निर्णय के बाद खासतौर पर रहली विधानसभा के युवा भाजपा कार्यकर्ताओं का जोष ठंडा हो चुका है गौर करने लायक बात तो यह है कि दमोह से मंत्री जयंत मलैया की पत्नि और राष्ट्रीय नेत्री सुधा मलैया भी दमोह लोकसभा से टिकिट की दौड में थी लेकिन दमोह के भाजपा कार्यकर्ता भी चाहते थे कि अभिषेक भार्गव को टिकिट मिले।खैर परिणाम चाहे जो भी हो पर मंत्री द्वय की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि पार्टी का प्रत्याषी कोई भी हो उसकी जीत जरुर होना चाहिये।और फिर मोदी की लहर और मंत्रीयों का असर भी तो काम करेगा।फिर जीत तो प्रत्याषी कर्म पर निर्भर है कि जनता को कितना लुभा पाने में सक्षम है।
स्थानीय मुद्दे हावी रहेंगे चुनाव पर
अब तक प्रत्याशियों ने स्थानीय मुद्दे को लेकर कोई भी वादा नही किया है। जनहित को लेकर बात करें तो रहली से जबलपुर रोड जो कि राज्य ष्षासन द्वारा स्वीकृत है फिर भी केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा स्वीकृति के आभाव मे अभी तक लटका हुआ है।विदित हो कि रहली से जबलपुर जाने वाली सडक का कुछ हिस्सा नोरादेही अभ्यारण से होकर गुजरता है। इस सडक के आभाव में लोगों को काफी परेषानियों से गुजरना पड रहा है।रहली से जबलपुर आने जाने में पांच घंटे से भी अधिक समय लग जाता है।वही रोग उपचार के लिये लोग नागपुर जाना अधिक पसंद करते है सडक के आभाव में सागर होकर घूमकर जाना पडता है। वही अब तक कोई भी रोजगार के साधन उपलब्ध नही है यहां सर्वाधिक युवाओं को रोजगार की तलाष है।
- योगेश सोनी रहली सागर म.प्र