भोपाल। राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग के अधीन कार्यरत सभी अनुविभागीय अधिकारियों के आसहरण एवं संवितरण अधिकार यानी डीडी पावर गत 1 अप्रैल से खत्म कर दिये हैं।
विभाग के प्रमुख अभियंता एमजी चौबे द्वारा सभी कार्यपालन यंत्रियों को भेजे निर्देश में कहा गया है कि मप्र कोष संहिता के तहत कार्यपालन यंत्रियों द्वारा अधीनस्थ अनुविभागीय अधिकारियों को आहरण एवं संवितरण के अधिकार प्रदत्त किये जाते हैं। इस संबंध में निर्देशित किया जाता है कि भविष्य में अपने संभागीय कार्यालय के अधीनस्थ अनुविभागीय अधिकारी को आहरण एवं संवितरण के अधिकार प्रदत्त न किये जायें। यदि किन्हीं प्रकरणों में प्रशासकीय हित में अधिकार प्रदत्त करना आवश्यक हो तो प्रमुख अभियंता कार्यालय की पूर्व अनुमति अनिवार्य रुप से प्राप्त किया जाना सुनिश्चित करें।
अब एक करोड़ से अधिक राशि हेतु ईमेजरमेंट प्रणाली :
इधर जल संसाधन विभाग ने अपने सभी मुख्य अभियंताओं, अधीक्षण यंत्रियों तथा कार्यपालन यंत्रियों को भेजे आदेश में कहा है कि पहले 15 करोड़ रुपये एवं इससे अधिक राशि के निर्माण कार्य अनुबंधों के माप एवं भुगतान के लिये ई-मेजरमेंट प्रणाली लागू की गई थी। लेकिन अब एक करोड़ रुपये या इससे अधिक राशि के अनुबंधों में निर्माण कार्योँ के माप एवं बिल के भुगतान के लिये ई-मेजरमेंट प्रणाली 1 अप्रैल से लागू की जा रही है।
अब 1 अप्रैल के बाद एक करोड़ रुपये या इससे अधिक राशि के निर्माण कार्य अनुबंधों (टर्न की एवं लम्प सम अनुबंधों को छोड़कर) विस्तृत माप एवं बिल इस ई-मेजरमेंट माड्यूल में दर्ज किये जायेंगे। माड्यूल से प्रिन्ट किया गया बिल (रनिंग बिल अकाउण्ट फार्म 27) देयक के रुप में उपयोग किया जाना अनिवार्य होगा। इस प्रकार तैयार किये गये बिल वाउचर को वही मान्यता प्राप्त होगी जो इस बिल वाउचर फार्म को हस्तलिखित करने से प्राप्त है। इसके लिये अनुबंध फार्म बी के अनुसार इसे बिल माना जायेगा।
ठेकेदार द्वारा द्वारा इस माड्यूल में बिल व विस्तृत माप दर्ज करने के बाद आगामी 5 कार्यदिवस में अनुविभागीय अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि ठेकेदार द्वारा दर्ज किये गये माप का स्थल निरीक्षण किया जाकर मान्य अथवा अमान्य करने की प्रक्रिया पूर्ण करेंगे। 1 से 15 तारीख तक किये गये कार्य का मेजरमेंट 15 से 20 तारीख तक एवं 16 से 31 तारीख तक किये गये कार्य का मेजरमेंट 1 से 5 तारीख तक दर्ज करना अनिवार्य होगा। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि ठेकेदार द्वारा किये गये कार्य के देयक का भुगतान ई-मेजरमेंट बुक माड्यूल की प्रक्रिया से नहीं किये जाने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुध्द मप्र सिविल सेवा आचरण नियम,1965 के अंतर्गत निहित प्रावधानों के तहत नियमानुसार कार्यवाही प्रस्तावित की जायेगी।