इस बार के चुनाव में ज्यादा से ज्यादा नेता अनेक ऑनलाइन नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म के जरिये सामाजिक तानाबाना बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिनमें फेसबुक और टि्वटर का इस्तेमाल तो धड़ल्ले से हो रहा है लेकिन व्हाटसएप का उपयोग अब भी ज्यादा नहीं हो रहा है।
इस बार के लोकसभा चुनावों में बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने पहली बार अनेक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर मौजूदगी की जानकारी अपने हलफनामों में दी है और फेसबुक, टिवटर और यूटयूब खातों का विवरण दिया है। हालांकि इस समय इंटरनेट पर संदेशों के आदान प्रदान के सबसे लोकप्रिय माध्यम व्हाटसएप के इस्तेमाल का जिक्र कुछ ही नेताओं ने किया है जिनमें कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन हैं जो नयी दिल्ली लोकसभा से पार्टी के उम्मीदवार हैं।
अनेक राजनीतिक दल और उनके नेता सोशल मीडिया के माध्यम से मतदाताओं को लुभाने में लगे हुए हैं और गूगल, फेसबुक और टि्वटर जैसी दिग्गज इंटरनेट कंपनियां इस बार के लोकसभा चुनावों में डिजिटल क्षेत्र में खर्च के करीब 500 करोड़ रुपये का बड़ा हिस्सा कमा सकती हैं।
नरेंद्र मोदी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक सभी नेता व्यापक तौर पर सोशल मीडिया पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे नेताओं की इस मंच पर किसी तरह की उपस्थिति नहीं है। लालकृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली जैसे बड़े भाजपा नेता लगातार ब्लॉग लिख रहे हैं।
बालाजी क्रिएशन के मार्केटिंग मैनेजर विभूति रंजन दुबे ने बताया कि कई डिटीजल मार्केटिंग कंपनियां इस क्षेत्र में काम कर रहीं हैं। हालात यह हैं कि कंपनियों के पास इस समय भरपूर काम उपलब्ध हैं और वे चुनाव प्रचार को प्रोफेशनली हेंडलिंग कर रहीं हैं।
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