उपदेश अवस्थी/भोपाल। पिछले लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज को वाकओवर देने वाले कांग्रेस के निष्कासित नेता पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल ने विदिशा से निर्दलीय लड़ने का एलान किया है। अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि राजकुमार पटेल आखिर किसके इशारे पर खेल रहे हैं शिवराज सिंह या दिग्विजय सिंह।
थोड़ा याद दिला दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने विदिशा से सुषमा स्वराज के खिलाफ राजकुमार पटेल को टिकिट थमाया था परंतु उन्होंने पर्चा तक दाखिल नहीं किया। स्वभाविक था, सुषमा स्वराज चुनाव जीत गर्इ्ं, और गद्दारी के आरोप में पटेल को निष्काषित कर दिया गया।
अब पटेल ने विदिशा से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। बतौर कांग्रेस प्रत्याशी पर्चा दाखिल किया है, सब जानते हैं जनाब निष्कासित हैं टिकिट मिला नहीं अत: निर्दलीय घोषित हो जाएंगे। पटेल का कहना है कि वो फिर भी चुनाव लड़ेंगे।
इसी के साथ राजनीति के पंडित अपनी बुद्धि के घोड़े दौड़ा रहे हैं। एक वर्ग का मानना है कि पटेल दिग्विजय सिंह के पट्ठे हैं और किरार समाज के वोट काटकर सुषमा स्वराज को नुक्सान पहुंचाएंगे, इसका सीधा लाभ कांग्रेस प्रत्याशी व दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को मिलेगा।
दूसरे वर्ग का मानना है कि राजकुमार पटेल और शिवराज सिंह के रिश्ते काफी मजबूत हैं। वो तय रणनीति के तहत कांग्रेस के वोट काटने के लिए मैदान में उतरे हैं और इसका सीधा लाभ सुषमा स्वराज को मिलेगा।
फिलहाल यह क्लीयर नहीं हो पा रहा है कि राजकुमार पटेल की रणनीति क्या है। जीतने की उम्मीद तो की नहीं जा सकती, नुक्सान किसे पहुंचाएंगे बस यही गणित लगाया जा रहा है। परिणाम जो भी हो परंतु दिग्विजय सिंह के दोनों हाथों में लड्डू आ गए हैं। सुषमा जीतीं तो कहेंगे कि पटेल ने वोट काट दिए, हार गईं तो पटेल से सुषमा के वोट कटवाए, रणनीति सफल रही। पटेल को वापस कांग्रेस में ज्वाइन करा देंगे।