पुलिस कर्मियों के वेतन से कर डाली सात करोड़ की कटौती

shailendra gupta
भोपाल। पुलिस विभाग ने अपने कर्मचारियों के वेतन में से साढ़े सात करोड़ रुपए की कटौती कर डाली। प्रत्येक कर्मचारी के वेतन से 700 रुपए उड़ा दिए गए। बिना अनुमति क्यों काटे, कहां जमा किए, क्या करोगे, कब करोगे, इसका कोई प्रमाणिक जवाब उपलब्ध नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के प्रवक्ता रामेश्वर गजभिये ने पुलिस विभाग पर आरोप लगाया है कि गृह विभाग ने पिछले साल अगस्त में राज्य सेवा के पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों एवं उनके आश्रित परिजनों को आवश्यकतानुसार प्रदेश के भीतर और बाहर के अस्पतालों तथा संस्थानों में समुचित चिकित्सा सेवाएं मुहैया करने के लिए जो ‘मध्यप्रदेश पुलिस स्वास्थ्य सुरक्षा येाजना मंजूर की है, वह सात महीने बीत जाने के बाद भी अमल की शक्ल हांसिल नहीं कर सकी है उसी योजना के लिए एक लाख चार हजार विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की पूर्व सहमति के बिना पिछले दिनों उनके वेतन से एकमुश्त 7 करोड़ से अधिक की कटौती कर डाली है। इस कटौती को लेकर प्रदेश भर के पुलिस कर्मियों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं और इस योजना के संचालन पर सवाल उठा रहे हैं।

श्री गजभिये ने कहा है कि गृह विभाग ने 19 अगस्त 2013 को यह योजना मंजूर कर उसके संचालन के संबंध में पुलिस महानिदेशक को आदेश दिये  थे। योजना की स्वीकृत रूपरेखा के अनुसार उसके संचालन के लिए उनकी अध्यक्षता में एक ट्रस्ट पंजीकृत कराया जाना था। सात महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस कर्मियों को इस बात की जानकारी नहीं है कि यह ट्रस्ट बना है या नहीं और यदि बना है तो उसका स्वरूप क्या है। मूल योजना के प्रावधान के अनुसार विभाग के राज्य सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों से इस योजना का लाभ लेने के लिए 100 रूपये प्रवेश शुल्क तथा हर महीने 50 रूपये अंशदान जमा करना है।

बताया गया है कि योजना के नियम के विपरीत जाकर विभाग की विभिन्न पुलिस इकाइयों ने पुलिस कर्मियों से उनके वेतन से एक मुश्त 700 रूपये बिना उनकी पूर्व सहमति के काट लिये हैं। इसमें 100 रूपये प्रवेश शुल्क और 50 रूपये प्रतिमाह के हिसाब से साल भर का अंशदान 600 रूपये शामिल है।

कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के प्रवक्ता ने कहा है कि पुलिस मुख्यालय ने योजना के क्रियान्वयन के संबंध में सभी अधीनस्थ कार्यालयों को अक्टूबर 2013 में निर्देश जारी किये थे। ऐसी सूचना है कि अभी तक इस योजना के अंतर्गत किसी भी पुलिस अधिकारी अथवा कर्मचारी को चिकित्सा सुविधा नहीं मिली है। यहां तक कि योजना का लाभ देने के लिए यूआईडी नंबर वाला जो स्मार्ट कार्ड योजना के सदस्यों को दिया जाना था, वह भी अभी नहीं दिया गया है। विभागीय स्टाफ योजना को लेकर पूरी तरह अंधेरे में है।

इस योजना के संबंध में श्री गजभिये ने पुलिस विभाग से पूछा है कि शासकीय  सेवकों के लिए चिकित्सा को लेकर राज्य सरकार की वर्तमान व्यवस्था के मौजूद रहते पुलिस वालों के लिए पृथक से स्वास्थ्य सुरक्षा योजना लागू करने की जरूरत क्या थी ? योजना में उल्लेखित ट्रस्ट गठित होकर पंजीकृत हो चुका है या नहीं। पुलिस कर्मियों को अब तक स्मार्ट कार्ड क्यों नहीं उपलब्ध कराया गया ? नियम के विरूद्व पुलिसकर्मियों से उनकी पूर्व सहमति के बिना 7 करोड़ 28 लाख रूपये की जबरिया कटौती क्यों की गई ? यह धनराशि कौन से खाते में जमा की गई है और उस खाते के संचालन के लिए कौन-कौन अधिकारी प्राधिकृत हैं ?

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