सिंहस्थ 2016: शिवराज ने कैलाश को किनारे किया

भोपाल। सिंहस्थ 2016 की सफलता के लिए शिवराज ने कैलाश से किनाराकशी कर ली है। सिंहस्थ के आफीसियल प्रभारी होने के बावजूद कैलाश विजयर्गीय को सिंहस्थ के कामों से दूर रखा जा रहा है। विजयवर्गीय समर्थकों का कहना है कि शिवराज नहीं चाहते कि कैलाश का कद बढ़े, यदि सिंहस्थ 2016 का काम उन्हें दिया गया तो सिंहस्थ की सफलता का श्रेय भी कैलाश को ही मिलेगा जो शिवराज को कतई मंजूर नहीं।

हरियाणा की सफलता के बाद कैलाश विजयर्गीय का कद तेजी से बढ़ गया है। इससे पहले हुए सिंहस्थ की सफलता का श्रेय भी कैलाश विजयर्गीय को ही जाता है। अब 2016 में फिर सिंहस्थ आ रहा है। आफीसियली कैलाश विजयर्गीय सिंहस्थ के प्रभारी हैं परंतु शिवराज सिंह अब कतई नहीं चाहते कि सिंहस्थ के सहारे कैलाश का कद बढ़ जाए। इसलिए उन्होंने सिंहस्थ की कमान अपने हाथ में ले ली है। ना केवल कमान हाथ में ले ली है बल्कि कैलाश को किनारे भी कर दिया है।

चौंकाने वाली बात यह है कि 17 अक्टूबर और 13 नवंबर को सिंहस्थ को लेकर मंत्रालय में हुई महत्वपूर्ण बैठकों में भी मुख्यमंत्री ने विजयवर्गीय को नहीं बुलाया। जबकि इन बैठकों में सिंहस्थ में पर्यटन को बढ़ावा देने संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। साथ ही इस केकैलेंडर को भी अंतिम रूप दिया गया।

स्थानीय नेताओं का प्रायोजित विरोध
मुख्यमंत्री ने नए साल की छुट्टी पर जाने से पहले 27 दिसंबर को उज्जैन पहुंचकर सिंहस्थ के निर्माण कार्यों का मैदानी निरीक्षण किया। निरीक्षण कर जब मुख्यमंत्री इंदौर के लिए रवाना होने लगे तो उज्जैन के कई जनप्रतिनिधियों ने विजयवर्गीय से सिंहस्थ का प्रभार वापस लेने की मांग तक उठा दी। उनका आरोप था कि विजयवर्गीय के पास बड़ा विभाग होने के कारण वे यहां ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। पार्षद प्रकाश शर्मा ने तो मुख्यमंत्री से सीधे-सीधे कहा कि सिंहस्थ के महत्वपूर्ण कामों को यदि समय पर पूरा करवाना है तो सिंहस्थ का प्रभारी किसी और को बनाना पड़ेगा। हालांकि मुख्यमंत्री ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
सूत्रों का दावा है कि यह प्रायोजित विरोध था जो मीडिया के सामने इसलिए कराया गया ताकि कैलाश को किनारे बनाए रखा जा सके।

यहां बता दें कि मप्र में कैलाश विजयर्गीय, मोदी गुट से आते हैं। अमित शाह भी उन्हें काफी तरजीह दिया करते हैं। संघ में मौजूद शिवराज विरोधी संगठन मंत्रियों के स्वागत सत्कार का काम कैलाश विजयर्गीय ही देखते हैं। कुल मिलाकर कैलाश विजयर्गीय एक ऐसे शक्तिशाली केबीनेट मंत्री हैं जिनके खिलाफ कोई भी कदम उठाने से पहले शिवराज सिंह चौहान को भी सोचना पड़ता है। कैलाश विजयर्गीय तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं और उन्हें शिवराज सिंह के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। बस यही कारण है कि शिवराज लगातार कैलाश को कंट्रोल करने के तमाम हथकंडे अपना रहे हैं।

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