भोपाल। प्रदेश में रेत का कारोबार अब पूरी तरह रेत माफिया के कब्जे में हो जाएगा। तीन माह पहले ही रेत की कीमतों में करीब 100 रुपए प्रति घनमीटर की बढ़ोतरी करने के बाद अब इसकी दरें सरकारी नियंत्रण से बाहर की जा रही हैं।
मप्र खनिज विकास निगम ने इसका मसौदा तैयार किया है, जिसे इसी सप्ताह मंजूरी मिल सकती है। सरकारी नियंत्रण हटने से सीधे तौर पर रेत कारोबारियों को फायदा मिलेगा और वे मनमर्जी से दरें तय कर सकेंगे। ऐसे में मकान बनाना भी महंगा हो सकता है।
मसौदे में रेत की दरों को डी-कंट्रोल करने के पीछे तर्क दिया गया है कि राज्य सरकार ने गौण खनिजों के लिए माइनिंग प्लान लागू किया है। इसके हिसाब से रेत खनन अब मात्रा (क्वांटिटी) के आधार पर होगा। अब जितनी भी नई रेत खदानों की नीलामी होगी, उसमें भी ऑफर क्वांटिटी के अनुसार बुलाए जाएंगे।
ऐसी स्थिति में ठेकेदार खदान से प्रति घनमीटर रेत उठाने की दर खुद तय करेगा। फिर रेत माफिया बाजार में उसकी बिक्री की दर तय करेंगे। अभी खदान पर रेत उठाने की दर साल भर के लिए खनिज निगम तय करता था।
अब क्या होगा?
खदान से रेत उठाने की सरकारी दर 374 रुपए प्रति घनमीटर रेत (होशंगाबाद स्थित खदान से उठाने पर) बाजार में पहुंचते-पहुंचते 1400 रुपए प्रति घनमीटर हो जाती है। बारिश की दिनों में यह 1800 से 2000 रुपए प्रति घनमीटर हो जाती है। सरकार का नियंत्रण हटने पर यह दर रेत माफिया की मर्जी के अनुसार होंगी।
खनिज निगम के पास 60 फीसदी खदानें
प्रदेश में जितनी भी बड़ी रेत खदान हैं, वह खनिज निगम के पास हैं। उनकी नीलामी भी वही करता है। मसलन होशंगाबाद, इंदौर में धामनोद, हरदा, ग्वालियर और जबलपुर मिलाकर करीब 18 जिलों में ये खदानें हैं। निर्माण कार्यों में 60 फीसदी सप्लाई इन्हीं से होती है।
260 करोड़ का सालाना कारोबार
वित्तीय वर्ष 2013-14 में अकेले मप्र खनिज निगम ने 200 करोड़ रुपए की रेत का कारोबार किया था। इस बार यह लक्ष्य 260 करोड़ के आस-पास है। जितनी भी रेत खदानों की मियाद पूरी हो रही है, वहां नए सिरे से क्वांटिटी के आधार पर रेत की नीलामी होगी।