अब तो उन रहस्यमयी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक कर दो

कोलकाता। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कुछ परिवार वालों ने आरएसएस से मदद मांगी है। नेताजी की मौत से जुड़ी गोपनीय फाइल को सार्वजनिक करने के लिए परिवार वालों ने संघ से हस्तक्षेप करने के लिए कहा है। परिवार वालों ने संघ से कहा है कि वह मोदी सरकार पर दबाव डाले ताकि नेताजी के गायब होने से जुड़ी गोपनीय फाइल सार्वजनिक हो सके।


नेताजी के परिवार के सदस्यों ने चित्रा घोष और डॉ. डीएन बोस की अगुआई में आरएसएस के टॉप नेता इंद्रेश कुमार से मुलाकात की। इस मुलाकात में नेता जी की भतीजी और भतीजे भी शामिल थे। इंद्रेश कुमार से इन्होंने कोलकाता में मुलाकात की। परिवार वालों ने आरएसएस नेता से सराकर पर दबाव डाल गोपनीय फाइल सार्वजनिक कराने की मांग की।

इससे पहले नरेंद्र मोदी सरकार पिछली सरकारों की तरह गोपनीय फाइलों के जारी होने से अन्य देशों के साथ संबंधों पर बुरा असर पडने की आशंका जताते हुए इन्हें जारी करने से इनकार कर चुकी है। इन फाइलों में अधिकतर नेताजी के लापता होने से संबंधित हैं। चित्रा घोष और नेताजी के पौत्र चंद्र कुमार बोस समेत अभिजीत राय के हस्ताक्षर वाले पत्र के अनुसार, 'जस्टिस मुखर्जी ने अपनी रिपोर्ट में भी संज्ञान लिया कि भारत सरकार के पास उपलब्ध महत्वपूर्ण दस्तावेज उन्हें उपलब्ध नहीं कराये गए और इससे उनके लापता होने की सचाई पता लगाने में दिक्कत आई।'

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने जस्टिस मुखर्जी के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था। परिवार ने नेताजी के लापता होने के रहस्य के मामले में जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सीनियर जज के दिशा निर्देश में विशेष जांच दल के गठन की मांग भी की। बोस परिवार के प्रवक्ता के रुप में चंद्रा कुमार बोस ने कहा कि इंद्रेश कुमार के साथ बातचीत सकारात्मक रही और संघ पदाधिकारी ने मामले को सरकार के साथ उठाने का वादा किया। परिवार के सदस्यों ने दलील दी कि जब तक गोपनीय फाइलें सरकार के पास रहेंगी, तब तक वे उन वर्गीकृत रेकॉर्डों के मुद्दे को उठाने की स्थिति में नहीं हो सकते जो विदेशी सरकारों के पास होने की संभावना है।

लेखक और कार्यकर्ता अनुज धर ने भी कहा कि संघ को इस मुद्दे पर सक्रियता दिखानी चाहिए। उनकी 2012 में आई किताब 'इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप' ने गोपनीय दस्तावेजों को उपलब्ध कराए जाने की मांग को उठाया था। नेताजी 1941 में तत्कालीन कोलकाता में ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई नजरबंदी से बचने में सफल रहे थे और उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन पाने के प्रयास किए। इसी प्रयास में उन्होंने जापान की मदद से आजाद हिंद फौज बनाई। 1945 में वह लापता हो गए। मुखर्जी आयोग ने इस धारणा को खारिज कर दिया था कि नेताजी का 18 अगस्त, 1945 को ताइवान के ताइहोकू एयरपोर्ट पर विमान दुर्घटना में निधन हो गया था।

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