एक अदद FIR के लिए बनना पड़ा मंत्री का फर्जी बेटा

महेश मिश्रा/भिंड। पुलिस विभाग के तमाम दावों पर कालिख मलता यह मामला गोहद से आ रहा है। यहां मोबाइल टॉवर पर हुई चोरी की रिपोर्ट लिखाने के लिए फरियादी गार्ड को मंत्री का फर्जी बेटा बनकर फोन लगाना पड़ा। यह बात दीगर है कि पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया, लेकिन सवाल यह है कि क्या एक आम आदमी पुलिस से इतनी भी उम्मीद नहीं कर पाता कि उसके यहां हुई चोरी की रिपोर्ट ईमानदारी से दर्ज हो सकेगी।

गिरफ्तार हुए युवक का नाम सूरज शर्मा है और वह एक प्राइवेट मोबाइल कंपनी में टॉवर पर गार्ड की नौकरी करता था। उसके ड्यूटी पर रहतेे टावर पर चोरी हो गई। इस घटना की रिपोर्ट लिखाने के लिए फरियादी युवक ने पुलिस अधिकारी को फोन पर बताया कि वो मंत्री लालसिंह आर्य का बेटा है और गार्ड की फरियादी दर्ज कर ली जाए।

पुलिस के लिए शर्मशार कर देने वाले इस मामले में बजाए चोरी की रिपोर्ट दर्ज करने के, पुलिस अधिकारियों ने सबसे पहले मंत्री के फर्जी बेटे को अरेस्ट कर लिया। चोर अभी भी खुले घूम रहे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी
आरोपी सूरज मेहगांव थाना क्षेत्र के इमलिया गांव का रहने बाला है औऱ बह गोहद मे मोबाईल टाबर पर गार्ड का काम करता है। आरोपी का कहना है कि उसके टावर पर चोरी हो गई थी जिसकी रिपोर्ट लिखाने के लिये मंत्री लाल सिंह का बेटा बन कर फोन किया था आरोपी अपनी बात स्वयं ही स्वीकार कर रहा है।
सुनील खेमरिया
टीआई,गोहद


क्या निकला लव्वोलुआब
जरा सोचिए, एक अदद एफआईआर दर्ज कराने के लिए आम आदमी को मंत्री के नाम का सहारा लेना पड़ा। सवाल यह है कि क्या पुलिस की छवि इतनी ज्यादा खराब हो गई है कि आम आदमी पुलिस थानों तक पहुंचने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा है, वो भी तब जब वो फरियादी हो, पीड़ित हो।

जबकि FIR है आम आदमी का अधिकार
12-11-2013 को रिट पिटीशन (क्रिमिनल) 68 ऑफ़ 2008 (ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ाइनल आदेश में कहा कि- किसी भी पोलिस स्टेशन की डायरी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जिसमे आमजन कि सभी शिकायतेे दर्ज कि जानी चाहिए। शिकायत दर्ज होने के बाद उस पर प्राथमिक जांच हो कि उसमे कौन सा अपराध बनता है। अगर संज्ञेय अपराध परिलक्षित होता है तो धारा 154 के तहत एफआईआर दर्ज कर उसकी एक कॉपी शिकायतकर्ता को मुहैया कराई जाए। अगर संज्ञेय अपराध नहीं है तो प्राथमिक जांच करके शिकायतकर्ता को एफआईआर दर्ज नहीं होने के कारणों सहित सूचित करते हुए शिकायत बंद कर दी जा सकती है। संज्ञेय अपराध की शिकायत मिलने पर एफआईआर दर्ज नहीं करने पर सम्बंधित अधिकारी के खिलाफ कारर्वाई सुनिश्चित कि जाए। 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!