अब प्ले स्कूल में भी RTE लागू

भोपाल। 'नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009(आरटीई)" के तहत अब प्ले स्कूलों में भी गरीब व कमजोर वर्ग के बच्चों के एडमिशन कराने जाएंगे। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले के बाद स्कूल शिक्षा विभाग इस दिशा में काम कर रहा है। विभाग के मंत्री ने अधिकारियों को कोर्ट के फैसले का पालन कराने को कहा है।

सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट कार्ड पेश करते समय स्कूल शिक्षामंत्री पारसचंद्र जैन से इस संबंध में सवाल पूछा गया था। इसके बाद मंत्री ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रदेश में संचालित प्ले स्कूलों की सूची तैयार करने को कहा है। साथ ही यह भी निर्देश दिए हैं कि हाईकोर्ट का फैसले की कॉपी लेकर अध्ययन किया जाए और कोर्ट के फैसले का पालन किया जाए। इसके बाद प्ले स्कूलों में गरीब एवं कमजोर बच्चों को एडमिशन मिलने की संभावना बढ़ गई है।

आरटीई में गरीब एवं कमजोर वर्ग के 6 से 14 साल के बच्चों को निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश दिलाने का प्रावधान है। इसके लिए प्रत्येक स्कूल की पहली कक्षा (केजी या कक्षा-एक) में 25 फीसद सीटें रिजर्व रखी जाती हैं।

चूंकि प्री-नर्सरी स्कूलों में दो से पांच साल के बच्चे पढ़ते हैं और इन स्कूलों को मान्यता भी नहीं लेनी पड़ती है। इसलिए ये स्कूल नि:शुल्क पढ़ाने को तैयार नहीं हैं। जबकि फीस बहुत ज्यादा है और बड़ी समस्या यह है कि अन्य प्रतिष्ठित निजी स्कूल ऐसे बच्चों को एडमिशन नहीं देते हैं, जो प्री-स्कूलों में नहीं पढ़े हैं। इसी तर्क के साथ अभिभावक हाईकोर्ट पहुंचे थे।

हाईकोर्ट ने यह कहा
हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 19 दिसंबर को फैसला सुनाया है। जिसमें कहा गया है कि आरटीई कानून नर्सरी क्लास पर भी प्रभावशील रहेगा। इन स्कूलों को भी पहली क्लास में 25 फीसद सीटें रिजर्व करनी होंगी और शासन को इन एडमिशन के बदले फीस की प्रतिपूर्ति करनी होगी। कोर्ट में स्कूलों ने भी कानून में 6 से 14 साल के बच्चों को अधिकार होने का तर्क प्रस्तुत किया था।

स्कूलों पर कसेगा शिकंजा
राजधानी में 250 और प्रदेश में 3 हजार से अधिक प्ले स्कूल हैं। घरों में संचालित इन स्कूलों पर अब तक स्कूल शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन का नियंत्रण नहीं है। इस कारण वे न तो लेखा-जोखा पेश करते हैं और न ही मान्यता लेते हैं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह स्कूल शासन की पकड़ में आ जाएंगे। गरीब एवं कमजोर बच्चों को एडमिशन देने के साथ भविष्य में इन स्कूलों को विभाग के नियम भी मानने पड़ेंगे।

पढ़ाई भी महंगी होगी
विभाग ने कोर्ट के फैसले का पालन कराया, तो गरीब बच्चों को तो राहत मिलेगी, लेकिन सामान्य आय वर्ग वाले परिवारों के बच्चों की पढ़ाई महंगी हो जाएगी। दरअसल, गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने के नाम पर ये स्कूल फीस बढ़ा देंगे। क्योंकि फीस प्रतिपूर्ति के रूप में उन्हें शासन से प्रति बच्चा 3400 रुपए सालाना ही मिलेंगे। जबकि वर्तमान में यह स्कूल 12 हजार से 17 हजार रुपए सालाना फीस ले रहे हैं। यह अंतर दूसरे बच्चों की फीस से ही पूरा किया जाएगा।

इनका कहना है
कोर्ट के फैसले का पालन किया जाएगा। जल्द ही ऐसे स्कूलों की जानकारी इकठ्ठी कराई जा रही है। कोर्ट के फैसले का भी अध्ययन किया जा रहा है।
पारसचंद्र जैन
मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग

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