मथुरा। अब उत्तर प्रदेश के मथुरा में 'आंखफोड़वा' ऑपरेशन का मामला सामने आया है। मथुरा के गोकुल में एक कैंप में ऑपरेशन के बाद 12 मरीजों की आंखों की रोशनी खत्म हो गई। बताया गया है कि बांके बिहारी सेवा संस्थान नाम के एक एनजीओ ने 22 नंवबर को आई कैंप लगाया था। कैंप में करीब दो दर्जन मोतियाबिंद के मरीजों का ऑपरेशन झोलाछाप डॉक्टरों ने किया था। इसके बाद 12 मरीजों की आंख की रोशनी चली गई।
इस एनजीओ का संचालक सीएमओ मथुरा के कार्यालय में तैनात एक तृतीय श्रेणी नेत्र सहायक के पद पर तैनात कर्मचारी है। उसे एक माह पहले एक घोटाले के चलते सस्पेंड कर दिया गया था।
इस कर्मचारी ने एनजीओ को अपनी पत्नी के नाम से रजिस्टर्ड कराया हुआ है। इसमें परिवार के लोगों और सगे-संबंधियों को ट्रस्टी नॉमिनेट कर रखा है।
डीएम की ओर से मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच कमिटी बना दी गई है। सिटी मैजिस्ट्रेट और चार डेप्युटी सीएमओ को रिपोर्ट देने के लिए कहा है। रविवार को सिटी मैजिस्ट्रेट और अन्य अधिकारी आरोपी के ठिकाने पर पहुंचे, लेकिन वह फरार बताया जा रहा है।
बताया गया है कि कैंप में मथुरा के अलावा आगरा, राजस्थान के कुछ लोगों ने भी ऑपरेशन कराए थे। कैंप में मरीजों से बढ़िया लैंस के नाम पर करीब पांच हजार और दवा के नाम पर हजार रुपये वसूले गए। लेकिन ऑपरेशन के बाद 12 मरीजों ने अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी।
डॉक्टरों ने बताया कि ये मरीज दोबारा अपनी आंखों से नहीं देख सकेंगे। मरीजों के तीमारदारों ने तब कैंप में मिली दवाइयां दिखाईं, तो डॉक्टरों ने उन्हें एक्सपायर्ड बताया।
पता चला है कि बांके बिहारी सेवा संस्थान का संचालक सीएमओ ऑफिस में तैनात तृतीय श्रेणी का कर्मचारी पीडी गौतम है। गौतम मोबाइल यूनिट में नेत्र सहायक के पद पर तैनात था। घोटाले के आरोप में करीब एक माह पहले पीडी गौतम को सस्पेंड किया गया था। अब 12 लोगों की रोशनी जाने की खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग को मिली जानकारी के अनुसार इन मरीजों के ऑपरेशन पीडी गौतम ने ही किए थे।