महात्मा गांधी के चरित्र पर सवाल हमेशा से उठते रहे हैं। पराई स्त्रियों के प्रति उनके झुकाव पर ही अक्सर बवाल मचते रहे हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते थे कि महात्मा गांधी 50 की उम्र में इकतरफा प्यार में पड़ गए थे। इधर आजादी का आंदोलन और उधर आंदोलन की मीटिंग के नाम पर प्यार की पींगे बढ़ाई जा रहीं थीं।
वो भी किसी और से नहीं बल्कि रवींद्रनाथ टैगोर की भांजी सरलादेवी से। महात्मा गांधी इस कदर पगलाए हुए थे कि उनसे शादी करना चाहते थे।
गांधीजी के 71 वर्षीय पोते राजमोहन गांधी ने अपनी एक पुस्तक में लिखा है कि अपनी विवेकबुद्धि के लिए प्रख्यात महात्मा गांधी विवाहित और चार संतानों के पिता होने के बावजूद भी सरलादेवी के प्रेम में पड़ गए थे। इतना ही नहीं, वे सरला से शादी करने के लिए भी तैयार हो गए थे। सरलादेवी गांधीजी की पत्नी कस्तूरबा की तुलना में काफी प्रतिभाशाली और बुद्धिमान थीं और वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थीं।
जब समझाने के बाद भी महात्मा नहीं माने तो परिवार और राष्ट्रहित के लिए सरलादेवी पर गांधीजी से संबंधों पर पूर्ण विराम लगाने का दबाव डाला गया। राजमोहन के अनुसार गांधीजी का यह प्रेम प्रकरण सीक्रेट नहीं था, बल्कि यह बात दोनों परिवारों में सबको मालूम थी। हालांकि यह बात अलग है कि सरलादेवी ने अपनी आत्मकथा में इस बात का जिक्र नहीं किया है।